होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सिविल अस्पताल होशियारपुर में सुविधाओं और डाक्टरों की कमी के चलते जहां मरीजों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है वहीं आए दिन डाक्टरों की लापरवाही के चलते कई कीमती जानों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है। इसके चलते धीरे-धीरे लोगों का विश्वास सरकार व सरकारी अस्पतालों से उठता जा रहा है। ताजा मामला होशियारपुर के सिविल अस्पताल में सामने आया है जहां पर एक महिला की बच्चे को जन्म देने के एक दिन बाद मौत हो गई तथा उसके परिजनों ने डाक्टरों पर आरोप लगाया है कि डाक्टरों की कथित लापरवाही के चलते महिला की मौत हुई है। परिजनों ने मृतका का पोस्टमार्टम जहां पी.जी.आई. से करवाने की मांग की है वहीं इस मामले की जांच किसी आई.पी.एस. अधिकारी से करवाने की मांग को लेकर बाला जी क्रांति सेना के सहयोग से अस्पताल के भीतर ही महिला का शव रखकर रोष व्यक्त करना शुरु करते हुए धरना लगा दिया।
मामले संबंधी जानकारी देते हुए मृतका की मां चंचला देवी पत्नी करनैल सिंह निवासी गांव सलेरन ने बताया कि उनकी बेटी राजविंदर व दामाद मनप्रीत सिंह जो की गांव जल्लोवाल खनूर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि राजविंदर गर्भवती थी और 5 फरवरी 2017 को सरकारी अस्पताल होशियारपुर में डिलीवरी के लिए उसे यहां लाया गया था। उन्होंने बताया कि यहां पर उसका इलाज जनरल सर्जन डा. सुनील भगत द्वारा किया गया और उनकी बेटी ने एक स्वस्थ्य बेटे को जन्म दिया। परन्तु उनकी बेटी की सेहत ठीक न होने संबंधी डाक्टर ने उन्हें कुछ नहीं बताया और कई पेपरों पर हस्ताक्षर लेने शुरु दिए। 6 फरवरी को सायं 5 बजे उनकी बेटी का हालत बिड़ती तो उन्होंने इस संबंधी डाक्टर को बताया लेकिन किसी भी डाक्टर ने उनकी नहीं सुनी। इस पर उन्होंने जब बार-बार नर्स को कहा तो नर्स ने राजविंदर की नाजुक हालत देखते हुए उसे एमरजैंसी में लाने की बात कही। परन्तु उन्हें हैरानी हुई कि जब उन्हें पता चला कि बी.पी. मशीन में सैल नहीं हैं तथा उन्होंने सैल लाकर दिए तो उनकी बेटी का बी.पी. चैक हो सका। एमरजैंसी में आक्सीजन सिलैंडर भी खत्म होने के कारण उनकी बेटी को आक्सीजन भी नहीं मिली और उनकी बेटी की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि बेटी की मौत के बाद डाक्टर उसके शव को ले जाने की बात कहते हुए मामले को दबाने की कोशिश डाल रहे थे।
मामले का पता चलते ही आज 7 फरवरी को सुबह बालाजी क्रांति सेना के अध्यक्ष बब्बा हांडा अपने साथियों सहित सिविल अस्पताल पहुंच गए और उन्होंने परिजनों के साथ सांत्वना व्यक्त करते हुए इंसाफ में उनका साथ देने की बात कही। इस उपरांत अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई न किए जाने से भडक़े परिजनों ने अस्पताल के भीतर एमरजैंसी के समक्ष राजविंदर का शव रखकर रोष धरना शुरु कर दिया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल प्रशासन और डाक्टरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान उन्होंने मांग की कि राजविंदर का पोस्टमार्टम पी.जी.आई. करवाया जाए और मामले की जांच किसी आई.पी.एस. अधिकारी से करवाई जाए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सरकार द्वारा बहुत सारी सुविधाएं दी जाती हैं, परन्तु अधिकारी और डाक्टर मरीजों तक उन सुविधाओं को पहुंचने ही नहीं देते। इतना ही नहीं अस्पताल में बहुत सारी नर्सें ऐसी हैं जिनका व्यवहार एक प्रतिशत भी मानवीय नहीं है, वे मरीजों के साथ टूट-टूट कर बात करती हैं।
इस दौरान मृतक राजविंदर के पति मनप्रीत सिंह ने बताया कि उसकी दो बेटियां हैं और अब उनकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था। परन्तु अस्पताल के डाक्टरों की कथित लापरवाही के चलते उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई।
इसी बीच मामले की सूचना मिलते ही थाना माडल टाउन प्रभारी बलजिंदर सिंह पुलिस पार्टी के साथ अस्पताल पहुंचे, परन्तु उनकी शोक संत्पत परिवार के रोष के आगे एक न चली। उन्होंने पारिवारिक सदस्यों व बालाजी क्रांति सेना के सदस्यों को मामले की जांच का आश्वासन दिया, पर वे नहीं माने।
दूसरी तरफ इस संबंधी बात करने पर एस.एम.ओ. रणजीत सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि गायनीकालॉजिस्ट विशेषज्ञ नहीं है और जनरल सर्जन ही सीजेरियन करते हैं। उन्होंने कहा कि महिला की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है तथा डाक्टरों ने उसे बचाने की कोफी कोशिश की पर उसे बताया नहीं जा सकता, जिसका उन्हें अफसोस है और उनके अधिकार क्षेत्र में मामले संबंधी जांच संबंधी जो कार्रवाई है वे उसे जरुर करेंगे तथा पी.जी.आई. व आई.पी.एस. अधिकारी से जांच करवाने संबंधी उच्चाधिकारी ही कुछ कर सकते हैं।