मानव सेवा में लगी गैरसरकारी संस्थाओं को सरकार व प्रशासन द्वारा सहयोग न देना निंदनीय: हरपाल लाडा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। कोरोना वायरस के इस चल रहे संकट के समय में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जनता की सेवा में लगी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को सरकार द्वारा सहयोग करना चाहिए। लेकिन दुख की बात है कि एक तरफ जहां सरकारी राशन वितरण प्रणाली का पूरी तरह से राजनीतिकरण हो रहा है वहीं गैरसरकारी संस्थाओं को सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सहयोग नहीं किया जा रहा। बल्कि यह भी देखने में आया है कि अगर कोई संस्था अपने स्तर पर जरुरतमंदों की सहायता करना चाहती है तो कई अधिकारी उन्हें प्रशासन को सामग्री मुहैया करवाने की बात कही जा रही है ताकि उसका भी राजनीतिकरण करके अपने चहेतों तक ही वे सामग्री पहुंचाई जा सके, जोकि किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है। यह बात समाज सेवक एवं गायक हरपाल लाडा ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। हरपाल लाडा ने कहा कि कोरोना वायरस से बचन के लिए प्रत्येक संस्था को सरकार की हिदायतों का पूरा पालन करना चाहिए तथा जो संस्था इसका पालन नहीं करती उनकी स्वीकृत्ति रद्द कर देनी चाहिए, इस बात से वे सहमत हैं।

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हिदायतों का पालन करना संस्थाओं की जिम्मेदारी, पर राशन वितरण में हो रही राजनीति बंद होनी चाहिए

 

 

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परन्तु सरकार की तरफ से भेजे गए राशन वितरण में भी वोट की राजनीति हो रही है। सत्ताधारी अपने चहेतों के माध्यम से चुनिंदा लोगों को ही राशन पहुंचा रहे हैं। जबकि शहर एवं गांवों में कई लोग ऐसे हैं जो सरकारी सहायता से पूरी तरह से वंचित हैं। हाल ही में मीडिया द्वारा होशियारपुर के सुन्दर नगर इलाके का दौरा करके वहां रहते जरुरतमंद लोगों की दशा संबंधी समाचार को प्रमुखता से उठाया गया था। इतना ही नहीं गांवों में भी कई लोग ऐसे हैं जिनके पास नीला या अन्य सरकारी सहायता प्राप्त करने वाला कार्ड नहीं है। मगर, वे भी दो वक्त की रोटी से वंचित रहने को मजबूर हो रहे हैं। जिनकी सुध ली जानी भी जरुरी है।

अगर, सत्ताधारी यह सोचते हैं कि वे अधिकारियों से अपनी मर्जी से कार्य करवाकर लोगों की सहानुभूति ले लेंगे तो वे गलत सोचते हैं, क्योंकि कई लोग ऐसे हैं जो दोहरी बार सहायता ले चुके हैं और कईयों के हिस्से में एक किलोग्राम आटा भी नहीं आया। इसलिए इस समय रोजनीति छोडक़र जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए जरुरतमंदों की मदद करने का एजेंडा तैयार करना चाहिए। लाडा ने केन्द्र एवं प्रदेश सरकार से मांग की कि वे कागजी आंकड़ों की बजाए जमीनी स्तर पर कार्य करे। क्योंकि अधिकारी भी नंबर गेम में सरकार के पक्ष की बात करके अपने उच्चाधिकारियों और नेताओं को खुश करने का काम ही कर रहे हैं। जिसके चलते लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। उन्होंने केन्द्र व पंजाब सरकार से यह भी मांग की कि वे दोनों मिलकर काम करें ताकि कोई भी जरुरतमंद सरकारी सहायता से वंचित न रहे और गैरसरकारी संस्थाओं को भी सहयोग प्रदान किया जाए ताकि वे और भी उत्साह से मानव सेवी कार्यों को कर सकें। इससे सरकार का बोझ कम होगा और जनता इस आपदा के समय को हंस कर काट जाएगी, तभी हमारा लॉक डाउन का मनोरथ पूरा हो पाएगा। अन्यथा लोग सभी नियमों को तोडक़र संघर्ष के रास्ते पर निकलने को मजबूर होंगे।

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