नाईस की रफ्तार नहीं हुई कम, पहले दिन से करवाई जा रही है ई-लर्निंग व साईकोलोजिकल काउंसिलिंग

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। लॉकडाउन से जहां हर जीवन में अलग-अलग तरह की बेचैनी बढ़ी, वहीं व्यक्तिगत कामकाजी रूटीन में स्थिरता आ गई। ऐजूकेन सैक्टर पर भी इसका बराबर वार रहा और कोरोना ने परीक्षायें तक स्थगित करवा दी। लेकिन नाईस कम्पयूटरज़ ने पहले दिन से ही अपने शिक्षकों व प्रशिक्षकों की पर्सनल ग्रूमिंग व स्किल डवैल्पमेन्ट के अन्तर्गत अग्रिम एडवांस टेऊनिंग ऑनलाईन आरम्भ करवा दी थी। सेंटर डायरेक्टर प्रेम सैनी ने बताया कि लॉकडाउन बढऩे की सूचना मिलते ही नाईस होशियारपुर व चब्बेवाल प्रशिक्षण संस्थान के छात्रों के लिये भी मौजूदा हालातों में फीस की मांग किये बिना ई-लर्निंग क्लासिस आरम्भ कर दी गई थी। बिजनेस वर्ग के खाली वक्त को देखते हुये चब्बेवाल संस्थान के सेंटर मैनेजर संदीप कुमार की देखरेख में उनके लिये टैली, अकाउन्टिंग विद जीएसटी और एडवांस ऐक्सेल के भी कोर्स मुहैया करवाये गये हैं।

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टीम लीडर मिठुन ठाकुर के अनुसार भले ही इंटरनेट व लैपटॉप व स्मार्टफोन जैसी ज़रूरी सुविधाओं के न रहते कुछ युवा इसका लाभ नहीं ले पाये। कहीं-कहीं नेटवर्क की दिक्कतें भी रहती हैं जो बाद में ग्रुप चैट से सुलझा ली जाती हैं। ई-लर्निंग से जुड़े विद्यार्थियों के अनुसार इस अनचाही परिस्थितियों में इस सुविधा से उनका रूटीन बना है, नया सीख भी रहे हैं और तकनीक को और अच्छे से हैंडल कर पा रहे हैं। सीनियर फैकल्टी मोनिका के अनुसार नाईस टीम न केवल स्टूडेंटस को क्वालिटी ऐजूकेशन दे रही है, सामान्य जीवन से जुड़ी परेशानियों में हौंसला भी बढ़ा रही है। क्योंकि विद्यार्थियों व टीम के लिये हर सुबह मैनेजमेंट की ओर से मोटीवेशनल संदेश के साथ एक अवार्ड विनिंग कम्पीटीशन की टॉस्क भी मिल जाता है जिससे सभी में उत्सुकता व जोश बराबर बना हुआ है।

प्रमुख काउन्सलर व क्लीनिकल साईकॉलोजिस्ट स्वीन सैनी के अनुसार यह समय सब लोगों के लिये अकेलेपन, तनाव, बीमारी का भय, आगामी अनिश्चितताओं की ग्लोबल चिन्ता लेकर खड़ा है। मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों के लिये नाईस मांईड मेन्डरज़ किसी की भी पहचान को सार्वजनिक किए बिना क्राईसिस स्पोर्ट एवं काउन्सिलंग की सेवाएं परिस्थितिनुसार मुफ्त दे रहे हैं। फोन कॉल, चैट या स्काईप पर सीधी बात कर मानसिक द्वन्द को समझकर उपयुक्त सुझाव दिये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त परिवार से दूर विदेशों में फंसे युवाओं के लिये अलग से एमरजेंसी हेल्प भी उपलब्ध है। जहां एक लेखिका के रोल में स्वीन सैनी सोशल मीडिया के जरिये अपने स्किल को सकारत्मक सोच बनाये रखने, आशा की लौ जगाए रखनेे और जिन्दादिली से सारी सावधानियां बरतने के लिये प्रेरित करती रहती है। वहीं सैनी दम्पति की छोटी बेटी आयुषी सैनी, जो कि फैशन डिज़ाइनर हैं, ने घर पर बढिय़ा क्वालिटी के सूती मास्क बनाकर गरीबी रेखा से नीचे के तबके में मुफ्त बांटने का काम जारी रखा है।

मौजुदा हालातों का ग्लोबल असर कुछ भी हो, नाईस परिवार को पूरा यकीन है कि भारत व भारतवासियों के लिये यह अनुभव नई दिशायें यकीनन खोल सकता है, बेशर्ते हम इससे मिले सबक याद रखते हुये सरल जीवन में मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बनाये रखें।

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