होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भले ही सरकारें गायों एवं गौधन की देखरेख को लेकर गंभीर प्रयास कर रहीं हैं, लेकिन यह प्रयास काफी नहीं हैं। क्योंकि, जब तक सरकार द्वारा इनकी देखरेख के लिए कोई कारगर योजना बनाकर लागू नहीं की जाती तब तक लावारिस गायों और गौधन की सेवा संभाल करना नामुमकिन नहीं लेकिन कठिन कार्य जरुर है। इसलिए सरकार से अपील है कि वो कोई ऐसी योजना बनाए कि पशु पालक गायों और गौधन को लावारिस छोडऩे पर मजबूर न हों और ऐसा होने पर पशु तस्करी पर भी लगाम लगेगी। यह बात नई सोच के संस्थापक अध्यक्ष व जिला एनिमल वेल्फेयर सोसायटी के सदस्य अश्विनी गैंद ने दसूहा में एक ट्रक में दम घुटने से हुई 7 गायों एवं 2 भैंसों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए कही। अश्विनी गैंद ने कहा कि महंगाई के कारण लोग पशु रखने से परहेज करने लगे हैं तथा जो लोग पशु रख भी रहे हैं वे भी उन्हें कब छोड़ दें इसके बारे में भी स्पष्ट तौर पर कहा नहीं जा सकता, क्योंकि आज लोगों को अपने परिवार के पालन पोषण की चिंता अधिक है।
श्री गैंद ने कहा कि सरकारों की लाख कोशिशों के बावजूद लावारिस पशुओं की तस्करी के आए दिन सामने आ रहे मामले कमजोर नीतियों का परिणाम है। सरकार को चाहिए कि पशु पालन नीतियों में सुधार करे ताकि जो लोग पशुओं पर निर्भर करते हैं वे पशु को सडक़ पर न छोड़ें। इसके लिए सरकार को चाहिए कि जब कोई पशु बूढ़ा हो जाए तो उसके पालन पोषण के लिए पशु पालक को कुछ राशि दी जाए ताकि उसके रखरखाव के लिए होने वाले खर्च की उसे कोई चिंता न रहे।
-दसूहा में ट्रक में गायों एवं भैंसों की दम घुटने से हुई मौत पर जताया गहरा दुख, मामले की गहनता से जांच कर पुलिस
इस मौके पर अश्विनी गैंद ने कहा कि दसूहा में प्रकाश में आए मामले में पुलिस को इसकी गहनता से जांच करनी चाहिए। सिर्फ मामला दर्ज करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इस मामले की तह तक जाकर कि जहां से पशु लाए गए और कहां ले जाए जा रहे थे तथा इस तस्करी में कौन-कौन शामिल था को भी बेनकाब करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें पुलिस की कार्यवाही पर पूरा भरोसा है, लेकिन अगर पुलिस ने इस मामले को संजीदगी से न लिया तो गौभक्तों को संघर्ष का रास्ता अपनाने को विवश होना पड़ेगा।