परमात्मा के साथ प्रेम परमात्मा को जान कर ही हो सकता है: माता सुदीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भक्त हमेशा समर्पित हो कर निष्काम भावना के साथ परमात्मा के साथ पे्रम करता है, उक्त बात निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा के साथ प्रेम, परमात्मा को जान कर ही हो सकता है। जो परमात्मा को सत्गुरू से जान कर भक्ति करता है, वही ज्ञानी भक्त सर्वेश्रेष्ठ होता है। भक्ति तो परमात्मा के साथ पे्रम का विषय है। यहाँ सिर्फ परमात्मा के साथ प्रेम, शुक्राना और समर्पण की ही बात होती है। यहाँ परमात्मा के साथ कोई भी गिला शिकवा या शिकायत वाला पहलू नहीं रहता। जब परमात्मा को दिल से प्यार किया जाये और इस प्यार में कोई शर्त या शिकायत न हो तो यह प्रेमा भक्ति बन जाती है।

Advertisements

यहाँ आ कर केवल भक्त अपने प्रभु की महिमा का, प्रभु के गुणों का, इसकी कृपा और शुकुरानों के भाव ही रखता है। यहाँ आ कर भक्ति की अपनी कोई अलग पहचान नहीं रह जाती। भक्त परमात्मा के साथ एकमिक हो जाता है। यह परमात्मा की अपेक्षा अपनी होंद को अलग नहीं रहता। जिस तरह चीनी पानी में घुल कर अपना वजूद खत्म कर लेती है। इसी तरह भक्त भी परमात्मा से मिल कर अपना अहम और अपनी सामाजिक हस्ती को भूल कर भक्ति मार्ग की तरफ आगे चलते हैं। प्रेमा भक्ति में भक्त परमात्मा के साथ कोई सौदा नहीं करता भाव कि भक्ति में कोई शर्त नहीं रखता। यह प्रभु के साथ निष्काम प्यार करता है।

भक्त के जीवन में कैसा भी समय हो। हर समय पर इस निरंकार के साथ मन का नाता जोड़ कर रखता है। भक्ति में लाभ हानि नहीं देखे जाते। प्रेमा भक्ति में प्रभु और भक्त के बीच कोई दीवार नहीं होती। परमात्मा कभी भी भक्त को नहीं छोड़ता। भक्त ही परमात्मा को कई बार भ्रमों में आ कर छोड़ देता है। उन्होंने कहा कि भक्ति के लिए कोई विशेष समय नहीं होता है। ज्ञानी भक्त इस प्रभु को जानने वाला हर समय पर इस के साथ मन को जोड़ कर रखता है। इस तरह का भक्त हर जीव में अपने प्रभु को देखता हुआ सब के साथ प्यार करता हुआ, प्रभु के भक्ति रस को मानता हुआ अपना जीवन संकल्प के मार्ग की तरफ समर्पित कर देता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here