होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भारत की आजादी के लिए लड़ रहे देश के 3 वीर सपूत रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, राकुर रोशन सिंह को आज ही के दिन 19 दिसंबर 1927 को अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई थी। इस दिन को देश बलिदान दिवस के रुप में मनाता है और इस अवसर पर आज उन्हें श्रद्धांजलि भेंट करते हुए भाजपा के जिला महामंत्री सतपाल शास्त्री ने कहा कि 9 अगस्त 1925 को अंग्रेजी सत्ता से पौने पांच हजार रुपए की डकैती हुई थी।
जिसके बाद इस घटना को लोग काकोरी कांड के नाम से जानने लगे। इस घटना को भले ही 93 साल से अधिक गुजर गए हों, लेकिन आज भी वह घटना इतिहास में जीवित है। उन्होंने कहा इस घटना के सबसे बड़े नाम रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला अपनी शायरी और कविताओं के लिए भी काफी प्रसिद्ध थे। रामप्रसाद बिस्मिल की शायरी ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,’ आगे चलकर आजादी के दीवानों का पसंदीदा गीत बन बन गया और आज भी इसे गुनगुनाया जाता है।
शास्त्री ने कहा वहीं अशफाक उल्ला भी शायरी में पीछे नहीं थे। उनकी लिखी कई कविताएं और शायरियां देशभक्ति में डूबी हुई रहती थी। क्या हुआ था इस दिन, क्या है काकोरी कांड
9 अगस्त 1925 की रात चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित 10 क्रांतिकारियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था।
खजाना लूटने में तो क्रांतिकारी सफल हो गए लेकिन पुलिस ने उन्हें खोज लिया इसमें चंद्रशेखर आजाद तो पुलिस के चंगुल से बच निकले। राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई और बाकी के क्रांतिकारियों को 4 साल की कैद और कुछ को काला पानी (उम्र कैद) की सजा सुनाई गई। आज इन महान देश भक्तों के शहीदी दिवस पर उन्हें नमन और श्रद्दांजलि भेंट की गई है।