होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एक तरफ जहां किसानी मुद्दों को लेकर अकाली एवं भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध अपनी चर्मसीमा पर है वहीं दूसरी तरफ विकास कार्य न होने से गुस्साये लोगों ने अकाली और भाजपा नेताओं के विरोध स्वरुप गांवों के साथसाथ मोहल्लों में भी अकाली एवं भाजपा का वायकाट करने के फ्लैक्स, बोर्ड एवं चार्ट आदि लगाने शुरु कर दिए हैं। जिसके चलते अकाली एवं भाजपा की परेशानियां बढ़ती दिखाई देने लगी हैं। ताजा विरोधावास की घटना के तहत शहर के वार्ड नंबर 20 के तहत पड़ते मोहल्ला कीर्ति नगर में लोगों ने अकाली एवं भाजपा नेताओं के मोहल्ले में न आने के सूचना पट्ट लगाकर चेतावनी देनी शुरु कर दी है।
ताजा जानकारी अनुसार शहर के वार्ड नंबर 20 में पड़ते मोहल्ला कीर्ति नगर में लोगों ने अकाली नेता एवं पिछले पार्षद की कार्यप्रणाली से दुखी होकर मोहल्ले के अलग-अलग हिस्सों में अकाली दल एवं भाजपा के मोहल्ले में न आने की सूचना मोहल्ले में अलग-अलग दीवारों पर पोस्टर लगाकर दे दी है। लोगों का कहना है कि केन्द्र की मोदी सरकार जहां किसानों के पक्ष में कोई भी ठोस फैसला लेने में विलम्भ कर रही है वहीं भाजपा की भाईवाल रही अकाली दल का भी कोई ठोस स्टैंड नहीं रहा। जिसके चलते उनके मन में दोनों पार्टियों के लिए रोष है तथा वे चाहते हैं कि यह पार्टियां उनके इलाके में वोट मांगने के लिए न आएं। जहां तक वोट किसे देने का सवाल है वे लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हुए किसी तीसरे को वोट दे देंगे, लेकिन इन पार्टियों के उम्मीदवारों को मोहल्ले में नहीं आने देंगे। नाम न छापने की शर्त पर लोगों का कहना है कि वह खुलकर भी इनका विरोध कर सकते हैं, लेकिन वे किसी बात को लेकर चुप हैं तथा एकाध दिन में वह इस संबंधी अगली रणनीति तय करके इनका खुलकर विरोध करेंगे और इन्हें किसी भी सूरत मेंअपने मोहल्ले में नहीं आने दिया जाएगा और न ही इन पार्टियों के उम्मीवार को यहां से जीतने दिया जाएगा।
हमारी टीम को जब इस बात का पता चला तो उन्होंंने तुरंत मोहल्ले में जाकर इसक जानकारी जुटाई और पता किया कि आखिर क्या बात है कि लोग इनसे इतने खफा हैं। लोगों ने इस दौरान हमारी टीम को बताया कि अकाली दल का नेता जोकि वार्ड पार्षद था ने लोगों की कभी सुनवाई नहीं की तथा न ही मोहल्ला निवासियों की समस्याओ ंको गंभीरता से हल करवाने की तरफ कदम बढ़ाए। इतना ही नहीं जब भी कोई मोहल्ले की समस्या लेकर उनके पास जाता था तो उस समय वे कहते थे कि यहां पर 20 सालों तक कोई सुधार नहीं हो सकता, जबकि वे नरग निगम में एक ऊंचे पद पर रहते हु सुख सुविधाएं भोग रहे थे। लोगों ने कहा कि अकाली एवं भाजपा वालों के लिए उनके वार्ड के दरवाजे सदैव बंद हैं तथा वे चेतावनी देना चाहते हैं कि अकाली एवं भाजपा वाले उनके वार्ड न न ही आए तो अच्छा है। लोगों के रोष को देखते हुए एक बात तो कही जा सकती है अगर सत्ता में रहते हुए इन्होंने लोगों का दर्द समझा होता तो शायद किसान आंदोलन का भी असर यहां कम देखने को मिलता, लेकिन… इन्होंने शायत इस तरफ ध्यान देना जरुरी नहीं समझा, जिसके चलते लोग इस प्रकार के बोर्ड लगवाने को विवश हुए। अब देखना यह होगा कि भविष्य में यह विरोध का ऊंट किस तरफ बैठता है औकर नतीजा क्या रहता है। लेकिन फिरहाल इन बोर्डों को लेकर शहर में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।