गर्भवती महिलाओं, अक्षम व बुजुर्गों को कई पुलिस कर्मियों के व्यवहार के कारण झेलनी पड़ी परेशानी, तानाशाह दिखे कुछ अधिकारी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। चुनाव आयोग पंजाब के निर्देशों पर जिला चुनाव अधिकारी की अगुवाई में आदर्श चुनाव प्रक्रिया संपन्न करवाने के लिए वैसे तो सभी प्रबंध संतोषजनक रहे। लेकिन, होशियारपुर में कई पोलिंग बूथों पर पुलिस कर्मियों का रवैया निंदनीय रहा। मतदाता जहां उत्साहपूर्वक मतदान केन्द्रों पर पहुंच रहे थे वहीं, गर्भवती महिलाएं, शारीरिक रूप से अक्षम तथा बुजुर्गों को मतदान केन्द्र तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। क्योंकि, कई मतदान केन्द्र जोकि शिक्षण संस्थानों में बनाए गए थे, पर गेट से लेकर मतदान केन्द्र तक की दूरी 100 से 150 मीटर होने के चलते उक्त लोगों को गेट से वहां तक पहुंचना मुश्किल हो गया। ऐसा इसलिए हुआ कि गेट पर खड़े पुलिस मुलाजिमों ने गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों व अक्षम लोगों को एक्टिवा व कार से अंदर जाने की अनुमति नहीं दी तथा वे लोगों से ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे मतदाताओं ने वहां पहुंचकर कोई गलती कर ली हो।

Advertisements

एस.डी. कॉलेज में वोट डालने पहुंची गर्भवती महिला के पति ने जब पुलिस कर्मी से गेट खोलने की बात कही तो पुलिस कर्मी का रवैया निंदनीय रहा तथा उसने कहा कि हम चलते फिरते हैं गेट नहीं खुलेगा, चलकर अंदर जाएं जबकि डाक्टर ने महिला को अधिक चलने से मना किया हुआ है। मतदान के प्रति अपनी निष्ठा को निभाते हुए महिला ने गेट से मतदान केन्द्र तक की दूरी पैदल तय की। इस बारे में मतदान केन्द्र के अंदर मौजूद एक सीनियर पुलिस कर्मी ने जब गेट पर आकर पुलिस कर्मी से बात की व उसे मतदाता की स्थिति को देखते हुए उसे गाड़ी व स्कूटर पर अंदर आने की बात कही तो इस पर भी उस पुलिस कर्मी ने सहयोग की भावना से बात न करते हुए कहा कि वह किसी को भी अंदर नहीं आने देगा। उसके व्यवहार को देख बहुत हैरानी हुई कि यह कैसी ड्यूटी जो किसी की मजबूरी भी न समझे।

इस संबंधी पुलिस अधिकारियों से बात करने पर सारा मामला उनके ध्यान में लाया गया तथा उन्होंने उचित कार्रवाई के साथ इस संबंधी दिशानिर्देश भी जारी करने की बात कही। लेकिन दुख की बात रही कि अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तथा बदतमीज किस्म के पुलिस कर्मी शाम तक अपनी ड्यूटी वैसे ही बजाते रहे। इतना ही नहीं, पत्रकारों के साथ भी पुलिस कर्मियों का व्यवहार ठीक न होने के चलते पत्रकार भाईचारे में भी रोष की लहर देखने को मिली। एक तरफ जहां अधिकारी सुरक्षा प्रबंधों को लेकर दावा करते नहीं थक रहे थे। वहीं, कई पोलिंग बूथों के बाहर जमा भीड़ उनके दावों की पोल खोल रही थी।

और-तो-और कुछेक मतदान केन्द्रों के अंदर असर-रसूख वाले लोगों को भी देखा गया तथा उन्हें बाहर का रास्ता पुलिस ने उस समय दिखाया जब अधिकारियों को कैमरे दिखे। एक पोलिंग केन्द्र पर एक पुलिस अधिकारी तो ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे वे पुलिस अधिकारी नहीं कोई तानाशाह हों तथा मुंह में डाली चिंगम को चबाते हुए जब वह बात कर रहे थे तब ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो साहिब क्रिकेट ग्राऊंड में फिल्डिंग कर रहे हों। यहां तक कि शिष्टाचार के बंधनों को तोड़ते हुए उनका व्यवहार पत्रकारों के साथ भी ठीक नहीं रहा तथा उन्होंने उन्हें भी कैमरे बंद कर डालने की ताड़ते हुए नसीहत कर डाली। उनके व्यवहार व उनके मुंह को चलता हुआ देखकर वहां खड़े लोगों ने यहां तक चुटकी भरी कि साहिब को जुगाली का बड़ा ही शौक लगता है। अब आप समझ गए होंगे कि जुगाली कौन करता है। जनता व पत्रकारों से सही व्यवहार न करने वाले पुलिसकर्मी व अधिकारी शायद भूल गए थे कि वे जनता के सेवक हैं तथा लोकतांत्रिक प्रणाली में व्यवस्थाओं को बनाए रखने में उनका अहम योगदान रहता है और जनता से ऊपर कोई नहीं होता। कुल मिलाकर कहा जाए तो पुलिस की सख्ती आम मतदाता तक ही सिमटी दिखी। जबकि पहुंच व असर-रसूख वालों के आगे पंगु रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here