वाह नेता जी, कहां गई वफादारी! 22 की तैयारी और वोट आजाद को, भा… वाले दिल पे न लें

होशियारपुर में 14 फरवरी को नगर निगम चुनाव संपन्न हुआ और 17 को नतीजे आए कि किस वार्ड से कौन सरताज बना। अब नतीजे आए तो आए, लेकिन इसके बाद से जो चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है, उसने तो सभी को हैरत में डाल रखा है। एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए अपने नेता जी के निर्देशों पर पूरी तरह से मैदान में डटे हुए थे वहीं दूसरी तरफ विपक्ष में रहते हुए पूरे देश में विरोध झेल रही एक पार्टी के नेता ऐसे भी थे जो अपनी ही पार्टी में सेंध लगाते हुए। आलम ये रहा कि राष्ट्र स्तर के एक नेता जी वैसे तो अपनी पार्टी के पक्के वफादार बनते हैं और उन्हें पार्टी ने कई अहम पदों से भी नवाजा, लेकिन इन चुनावों में जो चर्चाएं बाहर आ रही हैं उनसे सिद्ध होता है कि उनके द्वारा 22 में चुनाव लडऩे की अटकलें काफी हद तक सही पाई जा रही हैं और इसलिए वे अपने धड़े को और मजबूत बनाने में लगे हैं। चर्चा है कि जहां उन्होंने इन चुनावों में एक वार्ड को अधिक एहमियत दी वहीं दूसरी जगह अगर वे गए भी तो सिर्फ दिखावे के लिए तथा उन्होंने एक वार्ड में तो आजाद के पक्ष में जाने का इशारा तक दे डाला और हुआ भी ऐसा ही जैसा नेता जी चाहते थे। उनकी पार्टी का उम्मीदवार हार गया और सत्ताधारी वाले को भी धूल चाटनी पड़ी व वहां पर आजाद बाजी मार गया।

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वो आजाद भी ऐसा जो आज तक किसी का न हुआ और न ही आगे कोई संभावना है। चर्चा है कि नेता जी के इस दांव से सभी चकित रह गए कि यह बात सत्य है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र नहीं और न ही दुश्मन। इसलिए मौका मिले तो अपना धड़ा मजबूत बनाओ। वैसे नेता जी के दांव से एक तो साफ है कि जो आजाद जीता है वह सत्ताधारी से नाराज चल रहा है तथा ऐसे में नेता जी को उसके साथ संवेदना का कुछ को रिवार्ड मिलेगा ही न। वैसे चर्चा यह भी है कि… छोड़ो भाई अब क्या चर्चा करना। जो पार्टी का नहीं वो किसी का नहीं। क्या कौन सी पार्टी के नेता जी हैं और क्या नाम है??? भाई साहब कितनी बार कहा है कि ऐसे सवाल नहीं, इसके लिए अपना दीमाग भी लगाएं और नतीजे पर पहुंचें।

वैसे इस बात की चर्चा से 22 में अव्व्ल रहने का ख्वाब देखने वाले नेता जी भी काफी चिंतिति दिखने लगे हैं, क्योंकि इस हार के बाद शहर में फिर से दबदबा कायम करना खाला जी के बाड़े से कम नहीं। वैसे सुना है जहां वो रहते हैं वहां भी हार ही हाथ लगी और वहां भी किसी दूसरे को आशीर्वाद दे दिया। ये भा… वाले अपने पे न लें। वे तो पहले ही इतना विरोध झेल रहे हैं और कुछ करने के स्थान पर जुमलों से दिल बहलाने के सिवाये उनके पास कोई काम नहीं। वैसे इतना विरोध झेलना भी तो हिम्मत का काम है और वो भी तब जब अपने भी परायों पर भरोसा जताते हों। जय राम जी की।

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