उपराष्ट्रपति ने गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के लिए समन्वित प्रयास करने का किया आह्वान

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu at the inauguration of the CII’s Green Building Congress 2020, through video conferencing, in New Delhi on October 29, 2020.

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आर्थिक रूप से मजबूत भारत के निर्माण के लिए गरीबी, भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक बुराइयों जैसे लैंगिक भेदभाव के उन्मूलन की दिशा में समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करना ही हमारे स्‍वतंत्रता सेनानियों के लिए एक सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी। श्री नायडू ने भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्‍य में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्‍सव- 75 सप्‍ताह की अवधि वाला महोत्‍सव’ के लांच के मौके पर अपने फेसबुक पोस्‍ट में कहा कि यह हमारी राष्‍ट्रीय यात्रा में एक निर्णायक क्षण था और महात्‍मा गांधी तथा अनेक असंख्‍या स्‍वतंत्रता सेनानियों द्वारा हमें सौंपी गई विरासत को याद करने का एक अवसर है। उन्‍होंने कहा कि हमारे स्‍वतंत्रता सेनानियों, उनके सर्वोच्‍च बलिदानों और मजबूत आदर्शों की असाधारण भावना को हमेशा याद करना हमारा पावन कर्तव्‍य है।

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श्री नायडू ने साबरमती से दांडी तक आज शुरू की गई 25 दिवसीय पदयात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय महात्‍मा गांधी ने ऐतिहासिक नमक यात्रा की थी और यह भारत की काफी संघर्ष के बाद हासिल की गई आजादी को मनाने का जश्‍न है। यह पदयात्रा हमें अतीत से प्रेरणा लेने और एकसाथ मिलकर वर्तमान एवं आने वाली चुनौतियों का पूरी दृढ़ता, साहस और विश्‍वास से मुकाबला करने की प्रेरणा देती है। श्री नायडू ने महान दांडी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय साधारण समझे जाने वाले लेकिन एक शक्तिशाली प्रतीक ‘नमक’ ने पूरे देश में लोगों के अंदर स्‍फूर्ति पैदा कर दी थी। उस समय गांधी जी ने अहिंसा और अपनी मजबूत इच्‍छा शक्ति के चलते अटूट प्रतिबद्धता से यह कार्य किया और ब्रिटिश साम्राज्‍य तथा पूरे विश्‍व को यह दिखा दिया कि भारत अब दमनकारी ताकतों के आगे नहीं झुकेगा।

श्री नायडू ने देश के युवाओं को अपने महान नायकों के बारे में शिक्षित किये जाने की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए कहा कि किस तरह हमारे राष्‍ट्र के हजारों साहसी पुरूषों और महिलाओं ने आगे बढ़कर स्‍वाधीनता संघर्ष में हिस्‍सा लिया और देश से साम्राज्‍यवादी शासन को उखाड़ फैंकने में मदद की। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि जब हम अपनी स्‍वतंत्रता के फल का आनंद लेते हैं, तो हमें यह भी ध्‍यान में रखना चाहिए कि स्‍वतंत्रता का यह दृष्टिकोण पूरे तौर से तभी साकार होता है, जब हम संविधान में निर्धारित अपने सभी उद्देश्‍यों और वायदों को हासिल करते हैं। उन्‍होंने यह सलाह दी कि हमारी आजादी से अब तक की यात्रा का मूल्‍यांकन किया जाए और विकास के नये मोर्चों पर भी लक्ष्‍य केन्द्रित किया जाए। श्री नायडू ने यह सलाह भी दी कि भारत को और अधिक समृद्ध और मजबूत बनाने के लिए देश के लोगों खासकर युवाओं के लिए स्‍वस्‍थ जीवन शैली को अपनाना बहुत ही आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि हमें अपनी सभ्‍यता की जड़ों तक वापस जाना चाहिए, सार्वभौमिक मूल्‍यों को बनाया रखना चाहिए और पर्यावरण के लिहाज से जागरूक बनकर हमेशा प्रकृति के साथ तारतम्‍य स्‍थापित कर रहना चाहिए। भावी पीढि़यों को एक हरित और स्‍वस्‍थ पृथ्‍वी सौंपना हमारा कर्तव्‍य है।

श्री नायडू ने यह भी कहा कि हमें सतही आधार पर लोगों को विभाजित करने वाली ताकतों के प्रयासों और उनसे लड़ाई में सबसे आगे रहने का संकल्‍प लेना चाहिए1 उन्‍होंने इस बात का स्‍मरण किया कि किस प्रकार आजादी की लड़ाई के समय कई लोगों ने भारत की एकता और अखण्‍डता के लचीलेपन के बारे में अंदाजा लगाया था, लेकिन किस प्रकार उन्‍हें देश के लोगों ने निर्णायक रूप से गलत साबित करते हुए अपनी एकता और अखण्‍डता का अटूट परिचय दिया था। श्री नायडू ने कहा कि भारत की विविधता और हमारी सभ्‍यता के सामान्‍य मूल्‍य ही वास्‍तव में राष्‍ट्र की एकता को मजबूती प्रदान करते हैं। उन्‍होंने कहा कि जब हम व्‍यक्तिगत आजादी और सभी समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व में विश्‍वास करते हैं और हम सभी को जोड़ने वाले सामान्‍य बंधनों को मान्‍यता देते हैं और यही ‘वह भारतीयता है, जो हम सबको एकजुट रखती है।’

श्री नायडू ने स्‍वतंत्रता संघर्ष में हिस्‍सा लेने वाले और संविधान का निर्माण करने वाले हमारे नेताओं के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए कहा कि देश के लोगों के कल्‍याण और विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता हमारे संवैधानिक मूल्‍यों में निहित है। उन्‍होंने सरकार की विभिन्‍न योजनाओं जैसे सौभाग्‍य योजना, आयुष्‍मान भारत और किसान सम्‍मान निधि का जिक्र करते हुए कहा कि ये पहल ‘जीवन को सुगमता से जीने और लाभों के फायदे प्रत्‍येक व्‍यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित करती हैं।’ इस संदर्भ में श्री नायडू ने यह भी कहा कि किस प्रकार सुशासन का मॉडल शीर्ष स्‍तर से निम्‍न स्‍तर की ओर विकसित हुआ है और इसने विकेन्‍द्रीकरण, नागरिक उन्‍मुखी और सहभागिता के दृष्टिकोण को अपनाया है। श्री नायडू ने कहा कि आगे बढ़ते हुए हमें यही भावना अपनानी है और एक मजबूत तथा अधिक समृद्ध भारत के निर्माण का संकल्‍प लेना है। उन्‍होंने सलाह दी कि चौथी औद्योगिक क्रांति की नई मांग को पूरा करने और देश के जनसांख्यिकीय लाभ का फायदा उठाने के लिए हमें अपने युवाओं के कौशल और प्रशिक्षण पर ध्‍यान केन्द्रित करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में समाज में सबसे वंचित लोगों, विभिन्‍न प्रकार की निशक्‍ताओं से जूझते लोगों, महिलाओं, बुजुर्गों और ट्रांसजेंडरों को शामिल करना हमारा कर्तव्‍य है और उन्‍हें विकास के लाभ लेने योग्‍य बनाना है। 

उन्‍होंने सलाह दी कि हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्‍येक नागरिक की बेहतर शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, रोजगार और पोषण तक पहुंच हो। “हमें सभी क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनने का प्रयास करना है और ऐसा कर हम अपने स्‍वतंत्रता सेनानियों को सच्‍ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।” उपराष्‍ट्रपति ने अपने भाषण का समापन करते हुए लोगों से भारी संख्‍या में इस महोत्‍सव में सक्रिय रूप से भाग लेने और देश की लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्‍होंने महोत्‍सव की सफलता की कामना की। 

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