हमीरपुर, (द स्टैलर न्यूज़), रजनीश शर्मा । श्रेष्ठ भारत की नींव रखने वाले भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, हम जब भी भारत शब्द सुनते, लिखते या पढ़ते हैं तो हमारे जहन में अपनी मातृभूमि की ऐसी छवि उभरती है, जिसने न केवल हमें वसुधैव कुटुंबकम की परिभाषा को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया है अपितु हमें सामान अधिकार देकर वीरों की भातिं जीवन जीना भी सिखाया। भारतीय संस्कृति ने सदियों से हर जीवप्राणी को अपना बंधु, अपना परिजन और सम्पूर्ण विश्व को अपना कुटुंब माना तभी तो इसे सनातनी राष्ट्र कहा गया जिसका अर्थ है जो शास्वत है, जो सत्य है, जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत।
इसी के चलते समय समय पर विभिन्न आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति और धर्म को क्षति पहुंचाने के लिए असंख्य आक्रमण किये लेकिन यहाँ के लोगों की राष्ट्रीयता की भावना ने न केवल पुण्य भूमि की रक्षा करने के लिए अपने जीवन की आहुतियाँ दी बल्कि अपनी एतिहासिक विरासत को भी संजोय रखा अंग्रेजों ने भी फूट डालो और राज करो कि नीति को अपनाते हुए भारत पर लगभग 200 वर्ष राज किया और जब देश आजाद हुआ तो भी देश छोड़ते समय उन्होंने भारत को फिर से खंडित करने की कोशिश की जिसके कारण मोहमद अली जिन्ना जैसे विभाजनकारियों के कारण भारत में बंटवारा हुआ। यही नहीं अंग्रेज चाहते थे कि भारत कभी एकता सूत्र में न बंध पाए क्योंकि भारत विश्व का नेतृत्व शुरू से करता आया है।
आजाद होने पर एक ओर जहाँ विभाजन का संकट था, नई शासन व्यवस्था बनाने का प्रश्न था, नया संविधान लिखा जाना था वहीँ दूसरी ओर सबसे बड़ा संकट था 500 से अधिक रियासतों को भारत संघ में शामिल करना। पर आजादी मिलने के बाद भारत ने खुद को जिस तरह अभिभाजित बनाया, उसका श्रेय भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को जाता है जिन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के बावजूद इस कार्य को पूरा किया और उन लोगों के इरादों को परास्त करते हुए अखंड भारत का निर्माण किया, जो सोचते थे कि स्वतंत्र भारत कई भागों में विभाजित हो जाएगा।
उन्होंने सदैव भारत राष्ट्र के लोगों को एकता से बंधे रहने का मंत्र दिया जिसके अनुसार राष्ट्र को एकजुट करने के लिए एवं लोगों को एकतासूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की संस्कृति, संस्कारों, स्वतंत्रता और धर्म के संरक्षण के लिए राष्ट्र के लोगों में एकता होना आवश्यक है भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने (एक भारत) तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के चलते भारत सरकार ने उनको सम्मान देने के लिए वर्ष 2014 में 31 अक्टूबर को उनकी जन्मजयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया जिससे भारत के हर नागरिक को सामान मौलिक अधिकार मिले और राष्ट्रीय अखंडता के लिए एकता बनी रहे ताकि फिर कोई हमारी मातृभूमि की ओर गलत नज़र न उठा सके
भारत एक मात्र ऐसा राष्ट्र है जहाँ पग-पग पर भाषाएं, वेशभूषायें, मत, पंथ के विचार बदलते है, पर जो नहीं बदलता वो है यहाँ के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जो लोगों को यहाँ की पुण्य भूमि की रक्षा करने के लिए समर्पित होना सिखाती है। इतने सारे मत-पंथ होने के बाद भी यहाँ सबकी केवल एक ही पहचान है, वो है “भारतीयता” और इसी कारण एकता में अनेकता भारत की विशेषता है। आज हम सभी को भी अपनी आने वाली पीढ़ियों को यह बताना होगा कि हमारा गौरवमयी इतिहास क्या था और आखिर क्यों हम सभी में राष्ट्रीयता की अपार भावना और अपने राष्ट्रीय के प्रति सम्मान के लिए राष्ट्रीय एकता का होना आवश्यक है और कैसे हम एकता से रहकर अपने आप की, अपनी संस्कृति और समाज की रक्षा कर कैसे कर सकते हैं और यही सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को एक आदर्श एवं सच्ची श्रधांजली होगी