पुलिस का काम क्या केवल नेताओं को सैल्यूट मारना है?

अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़), लक्ष्मीकांता चावला। आम आदमी पार्टी के खास नेताओं को यह बहुत बड़ा कष्ट हुआ कि वे वीआईपी बन गए हैं, पर राह जाते चौक चौराहों और सड़क पर तैनात पुलिस कर्मचारी उनको सैल्यूट नहीं मारते तथा जब उनकी गाड़ी ट्रैफिक में फंस जाए तो उनको वीआईपी की तरह शेष सबको एक तरफ करके रास्ता नहीं दिलवाया जाता। पहले तो अफसोस है कि पंजाब के डीजीपी और पुलिस मुखी बठिंडा ने ट्रैफिक इंचार्जको लाइन हाजिर करके उसकी जगह नए ट्रैफिक इंचार्ज इंस्पेक्टर दलजीत सिंह को लगाया।

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क्या दलजीत सिंह को केवल यही ड्यूटी दी गई है कि जब आम आदमी पार्टी के खास लोग जाएं तो उन सबको सैल्यूट मारा जाए? मेरा इन खास वीआईपी नेताओं से यह प्रश्न है कि जब सड़क पर जाम लगा होगा, सैकड़ों लोग फंसे होंगे तो क्या इनकी गाड़ी हाई जंप करवाकर दूसरी गाड़ियों के उपर से पार करवाई जाएगी? पहले तो सबसे बड़ा दुख अफसोस पंजाब पुलिस के उन अधिकारियों पर है जिन्होंने यह मान लिया कि हर सत्तापक्ष के नेता को ट्रैफिक पुलिस सैल्यूट मारे और दूसरा इन नेताओं से यह सवाल है कि जब आपके मुख्यमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री शुरू से यह कहते आए हैं कि वे वीआईपी कल्चर के विरुद्ध हैं तो यह बठिंडा जिले के चेयरमेनों को सैल्यूट न मिलने पर कष्ट क्यों होने लगा ? यह अत्यंत निंदायोग्य है।

भगवंत मान जी को अपने इन चेयरमैनों को उनकी गलती का अहसास करवाना चाहिए। भविष्य में ऐसा न हो यह भी सुनिश्चित करें और पंजाब पुलिस से भी यह सवाल है कि क्या वे उन सभी पुलिस कर्मचारियों को लाइनहाजिर कर देंगे जो इन तथाकथित नेताओं को सैल्यूट नहीं मारते। पहला सवाल यह है कि क्या पुलिस यातायात नियंत्रण के लिए है या सैल्यूट मारने के लिए। इस घटना में दोनों ही कसूरवार हैं पुलिस अधिकारी भी और नेता भी।

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