पंजाब में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रियादिखावा बनी: डॉ. कमल सोई

चंडीगढ़, (द स्टैलर न्यूज़)। अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद (एनआरएससी) सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (भारत सरकार) के सदस्य-डॉ. कमल सोई ने पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में पंजाब में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को लेकर गहरी चिंता जताई और उनसे इस मामले में उचित कदम उठाने की अपील की है।

Advertisements

आज चंडीगढ़ में एक पत्रकार सम्मलेन में डॉ सोई ने कहा कि उन्होंने यह पत्र 13 अक्टूबर, 2023 को लिखा जिसे पंजाब राज्य के माननीय मुख्यमंत्री ने उसी दिन सचिव परिवहन, पंजाब को उचित कार्यवाही के लिए भेज दिया परंतु परिवहन विभाग द्वारा आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। डॉ सोई ने कहा कि पंजाब राज्य की मौजूदा आप सरकार लोगों की जान बचाने के लिए उतनी गंभीर नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार मैसर्स स्मार्ट चिप से मिली हुई है जो पंजाब में सन 2016 से स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (एडीटीटी) चला रही है।

प्रेस वार्ता के दौरान कुछ आंकड़े सांझे करते हुए डॉ सोई ने बताया कि सड़क हादसों के मामले में देश में पंजाब तीसरा सबसे खतरनाक राज्य है और इसमें लुधियाना नंबर एक स्थान पर है। पंजाब राज्य में पुराने हो चुके स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (एडीटीटी) पर  हर साल 7 लाख से ज्यादा लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब परिवहन विभाग द्वारा 32 स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर ड्राइविंग परीक्षण लेने के लिए अप्रचलित और पुराने ड्राइविंग कौशल परीक्षण समाधानों का उपयोग किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप अक्षम, अकुशल और अयोग्य ड्राइवरों को भी ड्राइविंग लाइसेंस दिए जा रहे हैं जो पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बन रहे हैं।

जहाँ आज पंजाब में  94.15% आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान किया जा रहा है, वहीँ “ड्राइविंग कौशल परीक्षण” उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों का राष्ट्रीय औसत केवल 60 से 65% के बीच है, परिणामस्वरूप सड़क पर एक्सीडेंट , मौतें और गंभीर चोटें। उन्होंने बताया कि सन 2022 के दौरान देश में हुए सड़क दुर्घटनाओं में 84 प्रतिशत मौतों में ( 80.3 प्रतिशत) व गंभीर चोटों में 83.9 प्रतिशत के लिए ड्राइवर की गलती एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है। ड्राइवरों की गलती श्रेणी के भीतर, वैध गति से अधिक स्पीड से वाहन चलाने के कारण सबसे अधिक 66.5 प्रतिशत दुर्घटनाओं और दुर्घटना से होने वाली मौतों ( 61.0 प्रतिशत) जिम्मेदार है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में डॉ सोई ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षण जिन 32 एडीटीटी केंद्रों पर आयोजित किए जा रहे हैं ये सेंटर सीएमवीआर के नियम 15 में निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने में नाकाम हैं। यहाँ ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार की पहचान और वास्तव में ड्राइविंग टेस्ट उम्मीदवार जो टेस्ट देता है को क्रॉस-चेक करने के लिए कोई फुलप्रूफ प्रमाणीकरण नहीं किया जाता। वर्तमान प्रक्रिया वास्तव में रियल टाइम सॉल्यूशन नहीं है क्योंकि इसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

टेस्ट पूरा करने के लिए टेस्ट देने वाले व्यक्ति द्वारा उल्लंघनों का कोई लाइव एम.आई.एस नहीं है और केवल कुछ सीमित परीक्षण मापदंडों : जैसे कि कर्ब हिट, टेस्ट में लिया गया समय आदि पर ही ध्यान दिया जाता है। ड्राइविंग कौशल के सटीक मूल्यांकन के लिए, सिस्टम में व्यापक परीक्षण पैरामीटर होने चाहिए जैसे मानक दिशा, रुकने की संख्या, पीछे/आगे बढ़ने की संख्या, रोल-बैक आदि। इसके आलोक में, डॉ सोई ने नयी टेक्नोलोजी समाधानों को लागू करेने और इससे जुड़े विभिन सुझाव भी दिए , जिनमें मुख्य तौर पर निम्नलिखित हैं :

रियल टाइम बेसिस पर ड्राइवर के व्यवहार की निगरानी के लिए आरिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, जैसे कि ड्राइवर के चेहरे की पहचान, सीट बेल्ट लगे होने की जानकारी, रियर व्यू मिरर का उपयोग और ड्राइविंग कौशल परीक्षण के लिए सी.एम.वी.आर के नियम 15 में उल्लिखित सभी मानदंडों को पूरा करना। “इन-कार कैमरा” और फेस रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग करके आवेदक को उन उम्मीदवारों के साथ क्रॉस चेक करना जो वास्तव में ड्राइविंग टेस्ट दे रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी डमी उम्मीदवार ड्राइविंग टेस्ट न दें सके । ड्राइविंग कौशल परीक्षण देते समय एक पूर्ण एकल आरेख के रूप में सभी ट्रैकों के लिए उम्मीदवार द्वारा अपनाए गए ड्राइविंग पथ के चित्रमय प्रतिनिधित्व के साथ एक ड्राइविंग परीक्षण मूल्यांकन रिपोर्ट दें।

उम्मीदवार की ड्राइविंग टेस्ट मूल्यांकन रिपोर्ट दी जाए जिसमें सभी ड्राइविंग ट्रैकों पर उम्मीदवार द्वारा अपनाए गए रास्ते की ग्राफिक रिप्रेजेंटेशन का विवरण हो । उम्मीदवार के ड्राइविंग टेस्ट की एक विस्तृत एम.आई.एस परीक्षण ट्रैक रिपोर्ट बने जिसमें ग्राफिक रिप्रेजेंटेशन के साथ परीक्षण ट्रैक पर वाहन की वास्तविक गति, टेस्ट के लिए लिया गया वास्तविक समय, टेस्ट के दौरान उल्लंघनों का उल्लेख और टेस्ट के दौरान उम्मीदवार द्वारा वाहन को आगे / पीछे / रोकने आदि सभी  गतिविधियों का उल्लेख होना चाहिए। डेटा में हेरफेर से बचने के लिए डाटा एन्क्रिप्शन और बैकअप प्रबंधन जैसी उन्नत सुरक्षा सुविधाओं के साथ रियल टाइम, वेब-आधारित प्रणाली। भविष्य में रिकार्ड के लिए आवेदक की आईडी के साथ परीक्षण-वार विधिवत मुद्रांकित वीडियो भी तैयार करना चाहिए जिससे परीक्षण परिणामों में किसी भी हेरफेर न हो सके ।

विभिन्न ट्रैकों पर एक साथ ड्राइविंग परीक्षण जिससे ड्राइविंग करने वाले की क्षमता का भी पता चल सके।  तथा रात में भी परीक्षण की भी सुविधा होनी चाहिए। डॉ सोई ने कहा कि इसलिए उपयोग की जा रही वर्तमान तकनीक को नवीनतम समाधान के साथ बदलने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए ज़ोर दिया कि जिन ड्राइवरों के पास अपेक्षित योग्यता और ड्राइविंग कौशल है, वे ही ड्राइविंग टेस्ट पास करें जिससे पंजाब राज्य में पैदल यात्रियों और सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा इसके जरिए  ड्राइविंग कौशल परीक्षणों में भ्रष्टाचार के माध्यम से हेरफेर से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना वास्तविक होना चाहिए न कि दिखावा जैसा कि अब होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here