सर्जिकल स्ट्राइक पर उंगली उठाना देश हित में नहीं: धूमल

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। सर्जिकल स्ट्राइक पर उंगली उठाना देश हित में नहीं है तथा सैनिकों की वीरता पर उंगली नहीं उठनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने वीरवार को सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के टौणीदेवी में मण्डल भाजपा द्वारा आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह में यह बात कही। उनहोंने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए तथा अब तक तक के हुए युद्धों में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीर जवानों को प्रणाम किया और शहीदों के परिवारों को नमन किया।

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प्रो. धूमल ने इस अवसर पर उपस्थित पूर्व सैनिकों व अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जिन लोगों को ज्ञान की कमी है वह बेतुकी बाते कर वीर सैनिकों के अदम्य साहस और पराक्रम की गाथा सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक का नाम दे रहे हैं7 प्रो0 धूमल ने कहा की 1947-48 में जब भारतीय सेना ने कुछ समय मांगते हुए कहा था की सुबह तक पूरा पाक अधिकृत कश्मीर हमारे कब्जे में होगा तब तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने जो कहा की सेना सीज फायर कर दे हम अपना कश्मीर यु.एन.ओ. में ले लेंगे वह सबसे बड़ा जुमला था। तब यदि सेना को वक़्त दे दिया गया होता तो बाद की 1962, 1965, 1971 तथा 1999 की लड़ाइयाँ न लड़ी जाती। अभी हाल ही में जब भारत और चाइना की फ़ौज डोक्लाम में आमने सामने खड़ी थी तब राहुल गांधी का देश की सेना तथा प्रधानमन्त्री को छोड़ चीन के राजदूत से डोक्लाम की स्थिति पूछना सबसे बड़ा जुमला था। ताशकंद के टेबल पर सेना के जवानों ने जो युद्धभूमि में जीता था वह हार गये। यही नहीं तत्कालीन प्रधानमन्त्री को पुछा जाता की किस दबाब में उन्होंने यह कदम उठाया इसके लिए वह जीवित ही नहीं बच्चे। उनके परिवार पूछता रहा की उनकी डायरी कहाँ है जिसे वह हर दिन लिखते थे। भारत के प्रधानमन्त्री की डायरी ही गुम हो जाए और मिले ना यह भी एक जुमला है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कारगिल विजय दिवस समारोह पर कारगिल युद्ध शहीदों के परिवारों को किया सम्मानित

प्रो. धूमल ने कारगिल युद्ध की स्मृत्तियों को याद करते हुए कहा की तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रद्देय अटल बिहारी बाजपेयी जी 2 जुलाई को उस वक्त युद्धभूमि में गये जब युद्ध चरम पर था ताकि देश के वीर जवानों का हौंसला बढ़ा सकें। हमने सरकार में रहते हुए निर्णय लिए कि कारगिल युद्ध में हुए शहीदों के परिवारों के बच्चों को जहां तक वह पढऩा चाहे प्रदेश सरकार पढ़ाएगी। कई परिवारों को नौकरी दी तो कई को पेट्रोल पम्प। हमने सरकार की तरफ से ढ़ाई करोड़ रूपए देकर सैनिक वेलफेयर फण्ड स्थापित किया। जिसमें बाद में पूरे प्रदेश से इस फंड के तहत रिकार्ड फंड इक_ा हुआ। इस फंड से युद्ध के समय शहीद हुए सैनिक के परिवार को पांच लाख, शान्ति काल में शहीद हुए सैनिक के परिवार को तीन लाख तथा पैरामिल्ट्री के शहीद हुए जवान के परिवार को एक लाख रूपए देने का निर्णय लिया, जो उस समय पूरे देश में सबसे अधिक था। हालाँकि बाद में यह राशि और बढ़ीं।

प्रो. धूमल ने कहा कि भाजपा की सरकारों ने सैनिकों के देश के लिए किये जाने वाले बलिदान का सम्मान करते हुए शहीदों के पार्थिव शरीरों को उनके घर तक पहुँचाने की व्यवस्था की। ई.सी.एच. के माध्यम से पूर्व सैनिकों को लाखों रुपये के स्वास्थ्य लाभ मिलें यह व्यवस्था भी भाजपा सरकारों ने की। वन रैंक वन पेंशन के माध्यम से सैनिकों को लाखों रूपए का लाभ प्रधानमन्त्री नरेंदर मोदी ने पहुँचाया। जिसके लिए साढ़े बारह हज़ार करोड़ रुपये के प्रावधान किये गये।

कारगिल विजय दिवस समारोह में सुजानपुर विस क्षेत्र से कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों रायफल मैन दिनेश कुमार, राकेश कुमार, सुनील कुमार, हवलदार राज कुमार व कश्मीर सिंह के परिजनों को पूर्व मुख्यमंत्री ने स्मृति चिन्ह भेंट कर समानित किया। इस अवसर पर कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हुए, जिनका पूर्व सीएम ने पार्टी का पटका पहना कर स्वागत किया।

इस अवसर पर कर्नल रमेश शर्मा, जिला अध्यक्ष अनिल ठाकुर, कैप्टन कालिदास व कैप्टण रणजीत सिंह ने भी कारगिल युद्ध तथा देश की रक्षा करने वाले सैनिकों की वीरता पर अपने विचार व्यक्त किये।

इस अवसर पर प्रदेश सह मीडिया प्रभारी नरेंदर अत्री, जिला परिषद् अध्यक्ष राकेश ठाकुर, जिला मीडिया प्रभारी अंकुश दत्त शर्मा, जिला परिषद् सदस्य वीरेंदर ठाकुर, महामंत्री पवन शर्मा, अनिल चंदेल, अंजना ठाकुर, अर्चना चौहान, जग्गन कटोच, विजय बहल, राजीव ठाकुर, पून्नू राम, तिलक राज, इत्यादि सहित सैंकड़ों अन्य पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।

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