होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा शिव मंदिर प्रगति नगर नजदीक डी.ए.बी कॉलेज होशियारपुर में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। क था के पहले दिन में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री श्वेता भारती जी ने बताया कि नशे के दुष्प्रभावों से अंजान होने के कारण ही युवा नशे की ओर कदम बढ़ाते हैं। उनके सामने नशाखोर या गैर कानूनी दलों द्वारा दिए गए हवाई निष्कर्ष होते हैं जिसमें फस कर वे नशा करना शुरू कर देते है, जबकि जो एक बार नशा लेते है 80 प्रतिशत चांस होते हैं कि वे बार-बार नशा लेंगे और नशे की लत का शिकार हो जायेंगे। नशे की लत को छोड़ पाना बहुत कष्टदायी होता है। अगर कोई छोड़ता भी है तो पुन: नशा करना शुरू कर देता है और दस में से आठ लोग दोबारा नशा लेना शुरू कर देते हैं। युवा वो शक्ति है जिसका उपयोग यदि सही ढंग से किया जाए तो हर काम ठीक हो सकता है। लेकिन वर्तमान समय में अपनी उसी शक्ति को भूल कर उससे कौसों दूर हुए खड़ा हमारा युवा वर्ग नशा खोरी जैसी भयंकर महामारी का शिकार होता जा रहा है।
इस संसार में दो चीजो की कोई सीमा नहीं है। एक आकाश और दूसरा मनुष्य की मुर्खता। आज का इंसान अपनी परेशानी और तनाव को दूर करने के लिए अगर नशा करता है तो यह उसकी मुर्खता ही कही जाएगी। नशे में बिलकुल भी सुख-शांति नहीं है। अगर कोई नशे की दल-दल में इस लिए पैर रखता है कि उसे मजा मिलेगा तो वह यहां पर गलत है क्योंकि नशा ही उसके लिए सजा बन जाता है। और बाकी बचा मन का स्कून भी दुख में परिवर्तित हो जाता है। साध्वी जी ने कहा कि यह नशा-नशा नहीं, हमारे नाश की निशानी है।
नशा करने से समाज में ओर कितनी ही कुरीतियां जन्म लेती हैं यह हम सभी को पता है। इस लिए आज से हम सभी मिलकर एैसे लोगों को इस नर्क से निकालने के लिए एकजुट होकर चलें। संस्थान के द्वारा नशा मुक्त समाज के लिए बोध नामक कार्यशाला चलाई जा रही है। जिसके अंर्तगत बड़ी मात्रा में लोगों को नशे के चुँगल से निकालकर समाज के अच्छे नागरिक बनाया जा चुका है। इसी अवसर पर साध्वी जी ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपने बच्चों की आदतों पर ध्यान रखें कि उनके बच्चें कहीं गलत संगत में तो नही पड़ गये। यदी ऐसा ध्यान में आए तो उसी समय उन्हें समझाना चाहिए। और उनकों बुरी संगत से दूर रखना चाहिए। अंत में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों के गायन से उपस्थित प्रेमियों को आनन्द वि5ाोर किया। कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया।