मेले के दौरान नौसरबाजों से रहें सावधान, जानकारी हासिल करने उपरांत ही करें किसी की मदद

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होशियारपुर/चिंतपूर्णी (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू/प्रिंस। श्रावण माह के नवरात्रों में माता चिंतपूर्णी जी का मेला 12 से 18 अगस्त तक शुरु होने जा रहे हैं तथा इस दौरान लाखों श्रद्धालु माता के दरबार में नतमस्तक होने के लिए पहुंचेंगे। ऐसे में जहां अधिकतर श्रद्धालु में श्रद्धा और कई प्रकार की मन्नतें लेकर माता के दर्शनों को जाएंगे वहीं नौसरबाद भी इन दिनों में काफी सक्रिय हो जाते हैं और श्रद्धा एवं भावनाओं का लाभ उठाकर लोगों को ठगने से भी परहेज नहीं करते। मेला शरु होने में भले ही 3-4 दिन का समय है, मगर अभी तक श्रद्धालु माता के दर्शनों को जाने लगे हैं तथा इसी दौरान नौसरबाज भी सक्रिय हो गए हैं। जिनका काम यही है कि किसी न किसी रुप में लोगों की भावनाओं से खेलते हुए उनकी जेब से 100-200 रुपये निकलवाना। ऐसा करके वे दिन भर में न जाने कितने लोगों से रुपये ऐंठ लेते होंगे इसके बारे में शायद ही किसी ने जांच करनी जरुरी समझी हो।

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जानकारी अनुसार होशियारपु-चिंतपूर्णी मार्ग पर टैम्पो में सवार कुछ लोग रास्ते में खड़े यात्रियों, खासकर कार सवारों के समीप पहुंचकर भोला सा मुंह बनाकर ऐसा तर्क देते हैं कि दूसरे व्यक्ति न चाहते हुए भी जेब से 100-200 रुपये निकाल कर उनकी मदद को हाथ बढ़ा देता है। हाल ही में हमारी टीम के कुछ सदस्य जब गगरेट से लौट रहे थे तो रास्ते में वे सडक़ किनारे पानी आदि पीने के लिए रुके, इसी दौरान वहां पर टैम्पो में सवार 2-3 महिलाएं 2 पुरुष व 2-3 बच्चे वहां पहुंचे और चालक टैम्पो से उतर कर कार के समीप आ पहुंचा और रोया सा मुंह बनाकर उसने कहा कि वे मौगा की तरफ से आए हैं और रास्ते में टैम्पो का एक्सल टूट गया था और उन्हें तेल डलवाना है, इसलिए उनकी मदद कर दो। जब उनसे पूछा गया कि वे कितने दिन से यहां घूम रहे हैं तो उसके पास कोई जवाब नहीं था तथा हमारी टीम के सदस्य द्वारा जब उससे और जानकारी हासिल करनी चाही तो उसने वहां से भागने में ही भलाई समझी।

जिसका हालभाव देखकर हमारी टीम को यह समझने में देर नहीं लगी कि वे सारी टीम नौसरबाजों की है और वे भोले-भाले श्रद्धालुओं और रागहीरों को अपनी कोई न कोई मजबूरी बनाकर ठगने का काम करने में लगे हैं। इतना ही नहीं गत वर्ष भी ऐसे कई लोग इस मार्ग पर सक्रिय थे तथा हमारी टीम द्वारा इसके प्रति लोगों को सुचेत करने का कार्य किया गया था। मगर ऐसे लोगों की वजह से कई बार वे लोग भी मदद से महरुम हो जाते हैं, जिन्हें सच में मदद की जरुरत होती है। इसलिए नौसरबाजों पर नकेल कसने के लिए जहां प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए वहीं हम शहर निवासियों एवं श्रद्धालुओं का भी फर्ज बनता है कि वे ऐसे लोगों से पूरी तरह से सुचेत रहें और पूरी तरह से तहकीकात करने उपरांत ही किसी की मदद करें, कहीं ऐसा न हो कि आपके द्वारा दी गई मदद से वे रोज शाम को किसी और ही दुनियां में खोए हों. . . .

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