होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब की पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने गायों एवं गौधन की सेवा संभाल के लिए किए जाने वाले प्रयासों को गति प्रदान करने के लिए गौसेवा आयोग का गठन किया था। जिसके माध्यम से प्रदेश में बेसहारा गायों एवं गौधन को सुरक्षा मिलनी शुरु हो गई थी तथा इनकी संभाल की तरफ भी ध्यान दिया जा रहा था। मगर, जब से प्रदेश में कांग्रेस सरकार आई है तो गायों एवं गौधन से जुड़े कार्यों पर अंकुश लग गया है तथा सरकार द्वारा गौसेवा आयोग भी भंग कर दिया गया है। जिसके कारण कई प्रकार की समस्याएं पुन: जन्म लेने लगी हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि वे गौसेवा आयोग का गठन किया जाए।
उक्त विचार सामाजिक संस्था नई सोच के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने इस संबंधी आयोजित एक बैठक में व्यक्त किए। इस मौके पर गौसेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन कीमती भगत भी मौजूद थे। अश्विनी गैंद ने बताया कि 9 जनवरी 2018 से सरकार की तरफ से किए जाने वाले गौसेवा से जुड़े समस्त कार्य बंद पड़े हैं। इससे पहले जब भी गौसेवा से जुड़ी कोई समस्या होती थी तो आयोग द्वारा उसे तुरंत प्रभाव से दूर करने के निर्देश दिए जाते थे। परन्तु अब छोटी-छोटी समस्या के हल के लिए प्रशासन का मुंह ताकना पड़ रहा है। प्रशासन के उदासीन रवैये के चलते सरकारी गौशालाओं में कोई काम नहीं हो रहा। जिसका ताजा उदाहरण फलाही स्थित सरकारी गौशाला में लेबर व गायों एवं गौधन की सेवा संभाल में प्रबंधों की कमी है।
इस मौके पर कीमती भगत ने बताया कि जब आयोग बना था तो करीब 15 हजार लावारिस गायों एवं गौधन को गौशालाओं में पहुंचाया गया था और उनकी सेवा संभाल की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। दुख की बात है कि भारतीय संस्कृति से जुड़े इस विषय पर पंजाब सरकार पूरी तरह से उदासीन है तथा इसके अधिकारी भी इस तरफ ध्यान देना जरुरी नहीं समझ रहे। उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की कि वे इस संवेदनशील एवं गंभीर मामले की तरफ ध्यान दे। इस अवसर पर संदीप सैनी, प्रदीप हांडा, अरुण गुप्ता, लक्की ठाकुर, पार्षद रमेश मेछी, मुकेश डावर मिंटू, शाम लाल, परमजीत सिंह फौजी, अश्विनी छोटा सहित अन्य गौसेवक मौजूद थे।