अकालियों में चर्चा: भाजपा के पास नहीं है प्रत्याशी तो हमारे साथ सीट करें एक्सचेंज, हमारे पास हैं कई चेहरे

होशियारपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी की घोषणा में हो रही देरी के चलते जहां भाजपा नेता व कार्यकर्ता पूरी तरह से पशोपेश में हैं वहीं प्रत्याशी के नाम की घोषणा में हो रही देरी के चलते भाजपा की सहयोगी पार्टी अकाली दल में एक नई तरह की चर्चा छिड़ गई है। चर्चाओं का बाजार इतना गर्म है कि भाजपा द्वारा प्रत्याशी न घोषित किए जाने से जहां भाजपा की किरकिरी हो रही है वहीं अकाली दल कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा से सीट एक्सचेंज किए जाने की मांग उठाई जाने लगी है। अकालियों में इस बात को लेकर खूब चर्चा है कि भाजपा की गुटबाजी के हावी होने के चलते अगर प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं हो रहा तो यह सीट अकाली दल को दी जाए और इसे फिरोजपुर के साथ एक्सचेंज कर लिया जाए, क्योंकि होशियारपुर से अकाली दल के पास एक नहीं बल्कि तीन-तीन ऐसे चेहरे हैं जो इस सीट को जीत कर पार्टी की झोली में डाल सकते हैं। इनमें अकाली नेता देसराज धुग्गा, बीबी महिंदर कौर जोश तथा सोहन सिंह ठंडल प्रमुख हैं।

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लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

पार्टी सूत्रों की माने तो फिरोजपुर से भाजपा के पास सरदार चेहरा है और उस चेहरे का नाम है सुखपाल सिंह नन्नू तथा वे वहां से सीट को जीत सकते हैं। सूत्रों की माने तो अकालियों द्वारा इस बात को लेकर चुटकियां भी ली जा रही हैं कि देश को चलाने वाली पार्टी एक सीट पर प्रत्याशी आखिर क्यों नहीं तय कर पा रही, जबकि होशियारपुर को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। हालांकि राजनीति में यह कहना मुश्किल होता है कि जनता का रुख क्या है और ऊंट किस करवट बैठेगा, मगर यहां पर स्थिति इतनी पेचीदा हो चुकी है कि भाजपा द्वारा प्रत्याशी की घोषणा में हो रही देरी के कारण कार्यकर्ताओं में मायूसी छाने लगी है और इसका लाभ कांग्रेस के प्रत्याशी डा. राज कुमार को मिला लगभग तय है, क्योंकि उनके द्वारा चुनाव प्रचार में जो तेजी लाई गई है, उस रफ्तार का पीछा कर पाना भी भाजपा के लिए पूरी तरह से नामुमकिन समझा जा रहा है, भले ही अकाली दल का भाजपा का पूरा साथ है।

कई अकालियों का कहना है कि गुटबाजी हर पार्टी में होती है और अगर, भाजपा हाईकमान गुटबाजी पर लगाम लगाने में खुद को असमर्थ समझ रहा है तो इस सीट को अकाली दल के साथ बदलने में कोई हज नहीं है, क्योंकि लोग भी कहीं न कहीं इस सीट पर बदलाव देखना चाहते हैं। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि राजनीतिक गलियारों की हलचल क्या रंग दिखाती है, मगर फिलहाल अकाली दल में जंगल की आग की तरह उठ रही इस मांग को लेकर माहौल पूरी तरह से गर्माता जा रहा है।

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