क्वारंटाइन सेंटरों में नारकीय जीवन जीने को विवश मरीज: अभिषेक राणा

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़)। स्टेट कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने क्वारंटाइन सेंटरों व कोविड सेंटरों में बदइंतजामी को लेकर सवाल उठाए हैं। अभिषेक ने कहा है कि महामारी के दौरान क्वारंटाइन सेंटरों में रखे गए लोगों व कोविड सेंटर में रखे गए मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार बदइंतजामी की लाईव तस्वीरें भेज रहे हैं, लेकिन सरकार अपनी चाल से टस से मस नहीं हो रही है।

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अभिषेक ने कहा कि यूं तो कमोवेश समूचे प्रदेश में बदइंतजामी की तस्वीर एक जैसी है, लेकिन हाल ही में एनआईटी हमीरपुर में कुप्रबंधन की आई तस्वीरें बता रही हैं कि क्वारंटाइन सेंटरों में लोगों से जानवरों जैसे व्यवहार किया जा रहा है। लोगों को घरों से लाकर क्वारंटाइन सेंटरों में कैद कर दिया है, लेकिन उनकी वहां खैर खबर वाला लेने वाला कोई नहीं है। उनकी सेहत का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। अभिषेक ने कहा कि तस्वीरें बता रही हैं कि क्वारंटाइन सेंटरों में कौन लोग पॉजीटिव हैं और कौन लोग नेगटिव हैं। इसका उन्हें कोई इल्म नहीं है। सिस्टम की इस लापरवाही से निश्चित तौर पर संक्रमण और फैल सकता है। जिस कारण से लोग एक अजीब सी दहशत से गुजर रहे हैं। कोविड टेस्ट करवा चुके लोगों की रिपोर्ट 15-15 दिनों तक नहीं मिल रही है।

जिस कारण से लोग क्वारंटाइन सेंटरों में कैद होकर रहने को विवश हैं। अनके लोगों का कहना है कि क्वारंटाइन सेंटरों में न तो डॉक्टर आ रहे हैं, न ही नर्सें पहुंच पा रही हैं। यहां तक कि बदहाल हो चुके शौचालयों में सफाई तक का कोई इंतजाम नहीं है। क्वारंटाइन सेंटरों में कूड़ा-कचरा जहां-तहां बिखरा पड़ा है। क्वारंटाइन सेंटरों के नारकीय मंजर को देखकर अब वहां किसी नए संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे लोगों को महामारी व महंगाई लगातार सता रही है। जो लोग बाहर से वहां पहुंचे हैं, उन्हें 20-20 दिन क्वारंटाइन सेंटरों में हो चुके हैं। वह क्वारंटाइन सेंटरों में ही कैद हो कर रह गए हैं। क्योंकि उनकी रिपोर्ट न मिलने के कारण वह अपनी रिपोर्ट के इंतजार में सेंटरों में रहने को ही लाचार हैं। अभिषेक ने कहा कि सरकार अपने मुंह मियां मि_ू बनकर कोविड-19 प्रबंधन पर बेशक अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन तस्वीरें बता रही हैं कि क्वारंटाइन सेंटरों व कोविड सेंटरों में रह रहे लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं।

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