किसान विरोधी कृषि बिलों के खिलाफ आखिऱी दम तक लड़ेगी पंजाब सरकार: मनप्रीत बादल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहने का भरोसा देते हुये पंजाब के वित्त मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि किसान विरोधी कृषि बिलों के खि़लाफ़ वह आखिऱी दम तक लड़ेंगे। प्रैस कांफ्रैंस के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि आर्डीनैंस, जो हाल ही में संसद में पास किये गए हैं, का मुख्य मकसद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) के सुरक्षा कवच से वंचित करना और देश के अन्नदाता को बर्बाद करना है। उन्होंने कहा कि यह बिल केवल किसानों को ही नहीं बल्कि सभी पंजाबियों को बुरी तरह प्रभावित करेंगे। संकट की इस घड़ी में सभी पंजाबियों को समझदारी से काम लेने की अपील करते हुये स. बादल ने कहा कि पंजाबियों को सख़्त मेहनत और किसी भी जबर, अन्याय और बेइन्साफ़ी के खि़लाफ़ संघर्ष में निर्भिक रहने का वरदान है।

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किसानों के हितों को नुकसान पहुँचाने वाले कदमों को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे और पंजाब सरकार की तरफ से भाजपा की अगवाई वाली केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों का डट कर विरोध करेगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी को भी किसानों के हितों को नुकसान पहुँचाने की आज्ञा नहीं दी जायेगी। स. मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि यह कृषि बिल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में मिले सुरक्षा कवर से वंचित कर देंगे। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में मोदी सरकार की तरफ से गेहूँ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रुपए की वृद्धि का ऐलान किया गया है, जोकि पिछले एक दशक का सबसे कम (केवल 2.6 प्रतिशत) है। उन्होंने कहा कि कृषि लागत और मूल्य कमीशन (सी.ए.सी.पी.) ने खाद्य वस्तुओं की 8.4 प्रतिशत महँगाई के मद्देनजऱ न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6 प्रतिशत वृद्धि की सिफ़ारिश की थी। इससे संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने से पैर पीछे खींच रही है। किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की महत्ता पर रौशनी डालते हुये वि

त्त मंत्री ने कहा कि अन्नदाता की भलाई यकीनी बनाने के इलावा एम.एस.पी. राज्य के विकास का अहम ज़रिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में हर साल 70,000 करोड़ रुपए के अनाज की खरीद होती है, जिससे राज्य को 3900 करोड़ रुपए सालाना मंडी फीस मिलती है। इस राशि से राज्य की 65000 किलोमीटर लिंक सडक़ोंं, पुलों, मंडियों और अन्य बुनियादी ढांचे की संभाल और मुरम्मत की जाती है। भाजपा सरकार के पंजाब विरोधी पैंतरों की तीन उदाहरणों का हवाला देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि पंजाब को हमेशा केंद्र के इस सौतले रवैये का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों को विशेष टैक्स रियायतें देने, जीएसटी लागू करने और अब इन कृषि बिलों ने पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है। स. बादल ने कहा कि यह उससे बड़ा सितम है कि इन पंजाब विरोधी नीतियों में शिरोमणि अकाली दल हमेशा भाजपा का हिमायती रहा है। इस मुद्दे पर मगरमच्छ के अश्रु बहाने वाले शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की कड़े शब्दों में निंदा करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि सुखबीर लोगों को जवाबदेह है कि वह क्यों भाजपा के हर पंजाब विरोधी पैंतरों में हिस्सेदार हैं?

उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खि़लाफ़ एक शब्द तक नहीं बोला। वित्त मंत्री स. बादल ने कहा कि सुखबीर याद रखे कि ऐसे भावुक मुद्दे पर या तो प्रधानमंत्री के पावोंं में गिर जाये या फिर कड़े विरोध पर तत्पर हो जाएँ। आप सिफऱ् किसानों के हक में होने का ढकोसला रच रहे हो। वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस हमेशा पंजाब और पंजाबियों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान राज्य के पानियों की रक्षा की और अब किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है और ज़रूरत पडऩे पर हर संभव कदम उठाऐंगे। स. बादल ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही किसानी विरोधी कृषि बिलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि जहाँ राज्य में हरियाली और सफ़ेद क्रांति लाने में कांग्रेस सरकार की मुख्य भूमिका रही है, वहीं अकाली -भाजपा गठजोड़ ने हमेशा शान्ति, ख़ुशहाली और राज्य की तरक्की को रोक लगायी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य के किसानों के भलाई के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। स. बादल ने कहा कि यह उचित समय है जब पंजाबियों को पंजाबी समर्थकीय और पंजाबी विरोधी ताकतों के बीच वाले अंतर पहचानना पड़ेगा।
केंद्र सरकार की तरफ से बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी के विवरण मीडिया को जारी करते हुये वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कमेटी केंद्र सरकार की तरफ से किसानों की आमदन दोगुनी करने के लिए कायम की गई थी। पहली मीटिंग में पंजाब को बुलाया ही नहीं गया परन्तु जब पंजाब की तरफ से कमेटी से बाहर रखने के कदम का विरोध किया गया तो राज्य को कमेटी में शामिल कर लिया गया। स. बादल ने कहा कि दूसरी और तीसरी मीटिंग में कृषि आमदन बढ़ाने के इलावा किसी एजंडे पर विचार-विमर्श नहीं किया गया।

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