सहकारी समिति के चुनाव प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी उजागर, रोष की लहर, बीडीओ पर कार्यवाही की मांग

बछवाड़ा/बेगूसराय (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: राकेश कुमार। कृषकों एवं पशुपालकों के अनहित को लेकर सरकारें तो बदनाम रही ही हैं। इन किसानों के लाभ से संदर्भित दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति के अध्यक्ष एवं प्रबंध कार्यकारणी सदस्य के निर्वाचन में भी प्रखंड निर्वाचन अधिकारी बछवाड़ा द्वारा हकमारी व संवेदनहीनता बरती जा रही है। समूचे भारत में शायद ही ऐसा कोई निर्वाचन कार्य सम्पन्न हुआ होगा , जिसमें मतदान सिर्फ चौबीस घंटे पहले अचानक रात को बुलाकर निर्वाचन अधिकारी द्वारा उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया हो। जबकि नियमानुसार मतदान से चौबीस घंटे पहले सभी प्रकार के प्रचार प्रसार को बंद कर दिया जाना होता है। मगर बछवाड़ा प्रखंड निर्वाचन अधिकारी नें प्रखंड के सभी दुग्ध उत्पादक सहयोग सहकारी समितियों के अध्यक्ष एवं प्रबंध कार्यकारणी सदस्य पद के निर्वाचन के लिए होने वाले चुनाव प्रक्रिया में उक्त सारे आरोप को चरितार्थ किया है।

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बताते चलें कि प्रखंड के कुल चौदह समितियों के उपरोक्त पद हेतु निर्वाचन प्रक्रिया को लेकर नामांकन की प्रक्रिया से ही आरोपों के घेरे में रहें हैं। चुनाव प्रक्रिया के शुरुआती दौर से ही उम्मीदवारों ने बीडीओ सह निर्वाचन अधिकारी पर किसी खास उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसी खास उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य साधने हेतु प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते आ रहे हैं। बावजूद इसके जिले के वरिय अधिकारियों सहित किसानों के हित के लिए बनाई गई सहकारिता विभाग नें भी संवेदनशीलता नहीं दिखाई।पुर्व पंचायत समिति सदस्य बिट्ट कुमार महतो सहित अन्य उम्मीदवारों नें बताया कि समूचे भारतवर्ष में शायद हीं ऐसा कोई चुनाव हुआ होगा जिसमें मतदान से सिर्फ चौबीस घंटे पहले चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया।

जबकि बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकरण पटना के पत्रांक 1635/20 के अनुसार 16 अक्टुबर को मतदान कार्य सम्पन्न कराने का आदेश है। इसके पुर्व भी उपरोक्त पद के नामांकन प्रक्रिया के दौरान भी बीडीओ के द्वारा बड़ी गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया था। निर्वाचन प्राधिकरण के द्वारा नामांकन की तिथि 4 एवं 5 अक्टूबर निर्धारित थी। मगर नामांकन शुल्क के तौर पर मिलने वाली नाजिर रशीद काटे जाने में भी उम्मीदवारों दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया गया। उम्मीदवारों का आरोप था कि नाजिर सरकारी लोकसेवक के बजाय किसी खास समिति के सचिव को दिया गया था। जहां गलत जानकारी देकर समितियों के उम्मीदवार को भ्रमित किया गया। उम्मीदवारों नें बताया कि बीडीओ नें 8 अक्टूबर को अपने खुद के द्वारा निर्गत पत्रांक 214 को आधार एवं बिहार विधानसभा चुनाव की व्यस्तता का हवाला देकर पहले तो चुनाव की तिथि बढ़ाए जाने की अफवाह फैला दी गई।

फिर अचानक 14 अक्टूबर की रात से 15 अक्टूबर की सुबह तक चुनाव चिन्ह वितरण किया गया। अब समस्या यह है कि शेष बचे बारह घंटे में कोई भी प्रत्याशी पुर्जा-पंपलेट का मुद्रण करवाए या चुनाव प्रचार। बीडीओ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रत्याशियों चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए बीडीओ पर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है।

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