-लोगों ने विरोध जताया तो बंद हुआ ठेका, पर नेता जी की कथनी और करनी आई सामने- मामला शहर में बना हुआ चर्चा का विषय-
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अगर कोई अपना घर या दुकान किराये पर देता है तो मालिक किरायेदार संबंधी सारी जानकारी जुटाने और वह क्या काम करता है या करेगा इसके बारे में जानने के उपरांत ही उसे घर या दुकान किराये पर देता है। मगर दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो समाज सेवा और राजनीतिज्ञ होने का मखौटा तो पहनते हैं, मगर समाज के प्रति उनकी क्या जिम्मेदारी है उसके प्रति वह जागरुक होना व उसे समझना जरुरी नहीं समझते। जिससे साफ हो जाता है कि उनकी राजनीति करने की मंशा क्या है और वह किस स्तर की समाज सेवा करते होंगे।
जनता को बुराईयों के प्रति जागरुक और समाज के उत्थान
की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले होशियारपुर के एक नेता जी का हाल तो देखिए, जिन्होंने अपनी दुकान ऐसे कारोबार के लिए किराये पर दे डाली, जिसे समाज के पक्ष में नहीं कहा जाता, भले ही सरकार द्वारा रेवेन्यू के कारण इस कारोबार को चलाना मजबूरी हो। मगर बावजूद इसके जनता द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जा रहा है और आए दिन विरोध होता रहता है, क्योंकि अब महिलाओं ने शराब ही नहीं बल्कि अन्य नशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिनके समाचार आए दिन समाचारपत्रों में पढऩे को मिलते हैं।
बहुजन समाज पार्टी से संबंधी एक नेता जी ने अपनी दुकान शराब का कारोबार करने के लिए किराये पर दे दी। लोगों ने जब विरोध किया तथा दुकान को ताला जड़ डाला तो नेता जी पूरी तरह से तिलमिला उठे। पत्रकारों द्वारा सवाल करने पर कि आपने दुकान किसे व किस काम के लिए किराये पर दी है तो उनका जवाब था कि उन्हें किराये से मतलब है अब कोई यहां क्या काम करेगा उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं। जबकि नेता जी एक ऐसी पार्टी से संबंधित हैं समाज में नशा, बेरोजगारी और अन्य सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का चौला पहने खुद को देश की सबसे फिक्रमंद पार्टी बताती है। मगर नेता जी द्वारा शराब की दुकान खोलने के लिए दुकान किराये पर दिए जाने से उनकी प्रतिष्ठा पर जहां सवालिया निशान लग गया है वहीं उनके द्वारा कही बात कि उन्हें किराये से मतलब है ने उनकी समाज के प्रति उनके दायित्व को साफ कर दिया है। समाचार पत्रों में ठेका खोलने और उसे बंद करवाए जाने को लेकर बड़े-बड़े समाचार प्रकाशित हुए। सूत्रों की मानें तो उनकी अपनी पार्टी के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर नेता जी को दुकान किराये पर देनी ही थी तो किसी और काम के लिए दे देते। ऐसा काम करके उन्होंने जहां पार्टी का सिर शर्म से झुका दिया है वहीं लोगों के सवालों का किसी के पास जवाब नहीं है। भले ही कई सफेदपोश लोग शराब बेचने का कारोबार करते हैं, मगर एक नेता को ऐसा काम किसी भी स्तर पर शोभा नहीं देता कि वह अपने घर या दुकान पर शराब बेचने के कारोबार की इजाजत दे।
शहर का टैगोर नगर-नहर कालोनी इलाका, शहर के पॉश इलाकों में गिना जाता है। यहां पर कई डाक्टर, प्रोफैसर, नेता और अभिनेता निवास करते हैं। परन्तु इस मामले के बाद चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है और यह भी चर्चा है कि आखिर नेता जी को ‘लाल परी’ से इतना मोह क्यों है? कहीं उनकी किसी के साथ कथित तौर पर हिस्सेदारी तो नहीं?