पी.एस.सी.एस.टी की तरफ से ‘जलवायु स्थिरता के लिए नयी तकनीकें’ विषय पर वैबीनार आयोजित

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब स्टेट कौंसिल फार साईंस एंड टेक्नोलोजी की तरफ से आज यहाँ डिप्टी ब्रिटिश हाई कमिशन, चण्डीगढ़ के सहयोग से ‘जलवायु स्थिरता के लिए नवीनतम तकनीकें’ विषय पर एक वैबीनार करवाया गया। उद्घाटनी सैशन के दौरान, ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिशनर एंड्रयू आयर ने भागीदारों को सी.ओ.पी -26 और इंग्लैंड की प्रैजीडैंसी के बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आने वाली सी.ओ.पी प्रैजीडैंसी के साथ, इंग्लैंड की सरकार दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यत्न जारी रखेगी, जिसमें सांसारिक ताप को कम करने और सहयोग और सहायता के साथ स्थिरता बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर और ज्यादा गतिविधियों और प्रोग्राम करवाना शामिल है। यह वैबीनार पी.एस.सी.एस.टी की तरफ से वातावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति स्थिरता लाने के लिए सामथ्र्य निर्माण सम्बन्धी करवाई जाने वाली वर्कशापों/वैबीनारों की लड़ी के एक हिस्से के तौर पर आयोजित किया गया। इंग्लैंड ग्लासगो में नवंबर -2021 में यूनाइटिड नेशनज फ्रेमवर्क कनवैनशन आन क्लाइमेट चेंज (यू.एन.एफ. सी. सी.सी) की कान्फ्रेंस आफ पार्टीज (सी.ओ.पी) के 26वें सैशन की मेजबानी करने जा रहा है। नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर डा. राजीव सिवाच ने ग्रामीण विकास में आई.एन.डी.सी.ज़. और एस.डी.जी.ज़. के एकीकरण की महत्ता पर रौशनी डाली क्योंकि भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। उन्होंने एक ऐसे वातावरण के निर्माण में नाबार्ड की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित किया, जहाँ ग्रामीण भाईचारे को विकास प्रक्रिया में हिस्सा लेने और रोजी-रोटी के मौके पैदा करके उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के योग्य बनाया। गेस्ट आफ आनर, डा. निशा महन्दिरता, सलाहकार/विज्ञानी- जी जलवायु परितर्वन प्रोग्राम (सी.सी.पी), डी.एस.टी, भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की रणनीतियों और पहलकदमियों पर विचार पेश किये। डा. जतिन्दर कौर अरोड़ा, कार्यकारी डायरैक्टर, पी.एस.सी.एस.टी ने जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुई समस्याओं से निपटने के लिए राज्य सरकार की योजनाओं और वचनबद्धता से अवगत करवाया।

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उन्होंने जलवायु स्थिरता को बढ़ाने के लिए जलवायु परिवर्तन 2.0 संबंधी स्टेट एक्शन प्लान सम्बन्धी पहलकदमियों के बारे भी जानकारी दी। तकनीकी सैशन की शुरूआत के दौरान, जलवायु और वातावरण सलाहकार, यू.के फौरन कामनवैल्थ एंड डिवैल्पमैंट आफिस डा. दलजीत कौर ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नयी खोजों की भूमिका संबंधी बताया। डा.इन्दरजीत सिंह, वाइस चांसलर, गडवासू ने ‘किसानी रोजी-रोटी की स्थिरता के लिए पशुधन क्षेत्र की कमजोरियों को दूर करने’ विषय पर अपने विचार सांझे किये। प्रीतम चैधरी, आईसीआईसीआई लोंबार्ड ने अपने विचार सांझे करते हुये बताया कि बीमा उत्पाद थर्मल हीट इंडैक्स के ऐतिहासिक आंकड़ों का प्रयोग करते हुये मौसमी स्थितियों के कारण दूध में हुई कमी के नुकसान की भरपायी के लिए तैयार किया गया था। प्रोफैसर लूसेलिया रोडरिकस, यूनिवर्सिटी आफ नौटिंघम, ब्रिटेन ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में इमारतों की किस्मों की महत्ता संबंधी बताया।

उन्होंने हमारी इमारतों के डिजाइन, निर्माण के ढंग पर फिर विचार करने की जरूरत पर जोर दिया जिससे वह न सिर्फ टिकाऊ रहें बल्कि बदलती जलवायु के प्रभावों को सह सकें। बायोमास सप्लाई चेन प्रबंधन और वैज्ञानिक उपयोगिता माहिर और पंजाब नवीनकरणीय ऊर्जा सिस्टमज प्राईवेट लिमटिड के मैनेजिंग डायरैक्टर लैफ्टिनैंट कर्नल मोनीश आहूजा (आर.टी.डी.) ने जीरो निकास के साथ लाभदायक उत्पादों के उत्पादन के लिए अलग-अलग ऐपलीकेशनों में बायोमास की अधिक प्रयोग संबंधी अपने तजुर्बे सांझे किये।

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