वाशिंगटन (द स्टैलर न्यूज़)। कैंसर के इलाज में रोगी के लिए कौन-सी दवा उपयुक्त और असरदार होगी यह बड़ा सवाल होता है। उसका सटीक चयन कठिन होता है। लेकिन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) और डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक नया तरीका खोजा है, जिससे पता चलेगा कि कोई खास दवा किस रोगी के लिए असरदार होगी। इससे डाक्टरों को उपयुक्त थेरेपी चुनने में आसानी होगी। यह शोध निष्कर्ष ‘सेल रिपोट्र्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ता स्काट मनालिस ने बताया कि इस नई तकनीक में रोगी के शरीर से ट्यूमर की कोशिकाएं निकाल कर उस पर एक दवा का प्रयोग किया जाता है और उसके बाद कोशिकाओं में होने वाले बदलाव को परखा जाता है। यह प्रयोग बारी-बारी से कई अन्य दवाओं को लेकर किया जाता है।
कैंसर की सभी दवाएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोशिकाओं की वृद्धि रोकने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। यह एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन रेडिएशन और कुछ दवाओं से रोगियों का जीवनकाल कुछ समय के लिए बढ़ जाता है। लेकिन अधिकांश रोगी एक-दो साल से ज्यादा नहीं जी पाते हैं। ऐसे में नई तकनीक से किसी रोगी के इलाज को लेकर फैसला करने में आसानी होगी।
कैंसर रोगियों के लिए खुशखबरी : नई तकनीक से ईलाज करने में होगी आसानी
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