चर्चा: एजैंसी नहीं छीन पाया तो सदस्य और कंपनी कर्मी को मानसिक प्रताडि़त करने लगा पदाधिकारी

distributors-association-hoshiarpur-dispute-punjab.jpeg

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर में एक व्यापारिक संस्था में चल रहा अंतर द्वंद खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ जहां संस्था के नियमानुसार एक सदस्य दूसरे सदस्य से एजैंसी बिना संस्था की सहमति से नहीं ले सकता वहीं संस्था के एक पदाधिकारी द्वारा एक सदस्य से एजैंसी छीनने के नाम पर की गई धक्केशाही एवं मानसिक प्रताडऩा को लेकर मामला जहां पुलिस के पास पहुंच गया है वहीं एक सदस्य ने न्याय के लिए माननीय अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है। दूसरी तरफ पता चला है कि उक्त पदाधिकारी व उसका एक साथी अपने पद व संस्था से मिले अधिकारों का दुरपयोग करके अब उस सदस्य को संस्था से निकालने की योजनाओएं बना रहा है, जिसका अंदरखाते कई सदस्य विरोध भी जता चुके हैं। मगर बावजूद इसके पदाधिकारी जहां उक्त सदस्यों को मानसिक प्रताडि़त करने से बाज नहीं आ रहा वहीं अपने अधिकारों के दुरपयोग से भी परहेज नहीं कर रहा।

Advertisements

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार संस्था का एक पदाधिकारी संस्था के अन्य सदस्य से उससे एक कंपनी की एजैंसी छीनना चाहता था तथा इसके लिए पदाधिकारी ने अपने एक साथी के साथ मिलकर कंपनी के एक कर्मचारी को इतना परेशान किया था कि कर्मी को काम छोडऩे को मजबूर होना पड़ा था। इस संबंधी कंपनी के पूर्व कर्मी ने भी पुलिस को शिकायत देकर उसके साथ की गई धक्केशाही के लिए इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई थी। मगर, पदाधिकारी ने अपने असर रसूख के चलते शिकायत को ठंडे बस्ते में डलवा दिया था।

जानकारी अनुसार संस्था का नियम है कि संस्था से जुड़ा कोई भी पदाधिकारी बिना संस्था व संबंधित सदस्य की सहमति से उसके पास से किसी भी कंपनी की एजैंसी नहीं हथिया सकता। मगर सूत्रों की माने तो उक्त पदाधिकारी समस्त नियमों को छिक्के पर टांग अपनी मर्जी करने पर उतारु हो चुका है, जाकि होशियारपुर स्तर पर ही नहीं बल्कि पंजाब स्तरीय संस्था के नियमों का भी उलंघन है।

अब आलम ये है कि उक्त पदाधिकारी की धक्केशाही का पता होने के बावजूद अधिकतर सदस्य उसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि उक्त पदाधिकारी खुद को भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का मुखी बताता है और उसके नाम पर सभी को डरा कर भी रखता है। जिसके चलते कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं। मगर, पता चला है कि कई सदस्य उक्त पदाधिकारी की धक्केशाही का विरोध करने की ठान चुके हैं, मगर अब देखना ये होगा कि संस्था के अंदर चल रहा द्वंद क्या रंग लाता है। क्या उक्त पदाधिकारी अपने चंद साथियों के साथ मिलकर नियमों की धज्जियां उड़ाने में कामयाब होता है या फिर संस्था के सूझवान सदस्य नियमों की पालना की खातिर एकजुट होकर उसे बाहर का रास्ता दिखा देते हैं।

इस बात को लेकर भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं कि अगर ऐसे ही पदाधिकारी अपने अधिकारों का दुरपयोग करके एक-दूसरे से एजैंसियां छीनते रहे तो पहले से ही मंदी की मार झेल रहे व्यापारी क्या काम करेंगे और फिर ऐसे में संस्था के गठन के क्या मायने रह जाते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here