होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में साप्ताहिक सत्संग के दौरान भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन ने कहा कि गुरु की कृपा भाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज सतगुरु देव चमन लाल जी कहा करते थे कि गुरु हमारा सबसे बड़ा मित्र व पालक होता है। संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो हमारा उद्धार कर सके। मनुष्य जन्म हमें मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है। उसके लिए हमें गुरु के पास जाना पड़ता है। मनुष्य का भौतिक जन्म माता-पिता के पास होता है और उसका दूसरा जन्म गुरु के पास होता है।
जिस प्रकार पक्षी का एक जन्म अंडे के अंदर और दूसरा अंडे के बाहर होता है ‘ इसीलिए उसे द्विज कहा जाता है। मनुष्य भी एक द्विज है। मनुष्य का काम मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में कर्म करना है और ऐसा वह केवल गुरु के पास जाकर ही कर सकता है। मनुष्य को करने के लिए कर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है, अगर शिष्य गुरु के बताए मार्ग पर चलता है तो मोक्ष की तरफ अगरसर होता है। गुरु कहते हैं कि सारे काम करो। लेकिन धर्म के अनुसार करो। इसके लिए मन को एकाग्र करना पड़ता है। मन को एकाग्र किए बिना धर्म नहीं होता। मन हमें संसार के गलत मार्ग पर भी ले जा सकता है। मन को काबू करने के लिए अभ्यास व वैराग्य करना पड़ता है।
इन दोनों चीजों के बारे में गुरु ही बताता है। हम इसके बारे में प्रयास भी करते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती। वैराग्य के बिना अभ्यास नहीं होता। केवल एक चीज से ही वैराग्य नहीं बल्कि संसार की तरफ मन ना जाए तथा साधन की तरफ जाए इसे वैराग्य कहते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु के पास कई तरह के शिष्य जाते हैं। उनकी अपनी अलग-अलग योग्यता होती है। उत्तम दर्जे के शिष्य गुरु के पास ज्ञान व मोक्ष के लिए जाते हैं। जिस मार्ग पर गुरु ले जाते हैं वह उस पर आगे बढ़ते हैं। कुछ शिष्य सांसारिक चीजों के लिए गुरु के पास जाते हैं।
अगर उन्हें उनके प्रति नहीं होती तो वह दूसरी तरफ जाने से भी संकोच नहीं करते। एक शिष्य ऐसे होते हैं जो गुरु की शक्ति को तो मानते हैं। उन्हें पता होता है कि गुरु सब कुछ देने में सक्षम है फिर भी वह सांसारिक चीजों की प्राप्ति के लिए गुरु के पास जाते हैं। उत्तम दर्जे वाले केवल आवागमन से छुटकारा चाहते हैं। हमारा धर्म मोक्ष का रास्ता दिखलाता है ताकि हमें संसार में दोबारा ना आना पड़े। संसार ईश्वर ने 84 का चक्कर चलाने के लिए बनाया है। इसमें इतनी विशेषताएं भारी है कि मकड़ी के जाल की तरह इंसान इसमें फंस जाता है। इससे निकलने का मार्ग केवल गुरु बताता है। हम संसार के चक्कर से निकलना भी चाहे तो गुरु के बिना नहीं निकल पाते।