योग भवन डेगाना रोड पर मनाया जा रहा चार दिवसीय स्वामी मुलख राज जन्मोत्सव समारोह श्रद्धापूर्वक संपन्न

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग भवन डेगाना रोड पर मनाया जा रहा चार दिवसीय स्वामी मुलख राज जन्मोत्सव समारोह आज श्रद्धापूर्वक संपन्न हो गया। हवन यज्ञ के बाद भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आश्रम के मुख्य आचार्य चंद्र मोहन जी ने कहा कि प्रभु की कृपा से ही हमें सत्संग में आने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि स्वामी मुलख राज जी महाराज ने प्रभु रामलाल जी के योग को हम सब तक पहुंचाया। इसी के चलते आज स्वामी जी के शिष्य सतगुरु देव चमन लाल जी महाराज की कृपा से देश-विदेश में योग साधन आश्रमों में योग की सिखलाई दी जाती है। जिसका हजारों लोग लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग सांसारिक मोह के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं लेकिन प्रभु के साथ हमारा प्रेम इतना सुदृढ़ नहीं हो पाता। यहीं पर हम मार खा जाते हैं। उन्होंने कहा कि सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज कहा करते थे कि योगी सद्गुरु की प्राप्ति ही जीवन की सफलता का एकमात्र साधन है। जिसको पूर्ण सतगुरु मिल जाए वह अपने जीवन को सफल करने में सक्षम हो जाता है।

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पूर्ण सतगुरु वह होते हैं जिनका जीवन शास्त्रों के अनुसार चलता है। जिसको देखकर शिष्य अच्छी अच्छी बातों को अपने जीवन में धारण करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा जल की तरह हमें पवित्र बनना होगा और श्रीमद् भागवत गीता के उपदेशों को जीवन में धारण करना होगा। इन दोनों चीजों से बड़ी और कोई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि गीता कर्म योग का शास्त्र है। हमें कर्म योगी बनना होगा। हमें संसार से रहकर प्रभु भक्ति में लीन रहना होगा। अर्जुन को भी वैराग्य हुआ था तो उसने कहा था कि उसे संसार की इच्छा नहीं है ना ही वह शासन चाहता है। इसके अलावा हमें ज्ञान की प्राप्ति करनी होगी। इसके लिए ज्ञान की तरफ जाना होगा। इसके अलावा ईश्वर ने हमें जो जीवन दिया है उसका भी हमने उद्धार करना है।

हमें काम तो करना ही होगा। उन्होंने कहा कि मन राम में तथा तन काम में रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान का दर्शन गुरु के बिना नहीं हो सकता। पहले हमें गुरु में भगवान के दर्शन होते हैं। जब शिष्य गुरु से नाता जोड़ता है तो वह संसार के कामों से विरिक्त हो जाता है। वह संसार में रहते हुए भी सांसारिक कार्य करते हुए भगवान को हर पल याद करता है। खुली आंखों से वह संसार देखता है और बंद आंखों से अंदर ही अंदर भगवान के प्रेम में रहकर उसको याद करता है। इस उपरांत आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया।

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