सिविल अस्पताल होशियारपुर: डाक्टर और स्टाफ पर लगाया लापरवाही का आरोप, किया रोष प्रदर्शन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। डाक्टरों, स्टाफ एवं उपकरणों की कमी की मार झेल रहे सिविल अस्पताल होशियारपुर की कार्यप्रणाली से जहां मरीज परेशान हो रहे हैं वहीं उनके पजिनों के समक्ष एकाएक बेहतर ईलाज के लिए दूसरे शहरों में दौडऩे की समस्या आ खड़ी होती है। आए दिन मरीजों की हालत बिगडऩे पर उन्हें दूसरे बड़े अस्पतालों में रैफर किए जाने से कई मरीजों की जान खतरे में आ जाती है तथा कई तो रास्ते में ही दम तोड़ जाते हैं। जिसके चलते सिविल अस्पताल से लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है तथा सरकार व स्वास्थ्य विभाग को इसमें सुधार हेतु जल्द से जल्द कड़े कदम उठाए जाने समय की मांग बन चुके हैं, अन्यथा वो दिन दूर नहीं जब स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से परेशान जनता अस्पताल पर ताला जडऩे को मजबूर हो जाएगी।

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ताजा वाक्य में सिविल अस्पताल में प्रजनन हेतु लाई गई महिला की हालत बिगडऩे पर उसे देर रात अमृतसर रैफर कर दिया गया तथा वहां पर महिला की हालत में सुधार लाने हेतु डाक्टरों को उसकी बच्चेदानी ही निकालनी पड़ी। जिसके रोष स्वरुप महिला के परिजनों ने आज 13 मार्च को सिविल अस्पताल के समक्ष जाम लगाकर प्रदर्शन किया। मौके पर पहुंचे डी.एस.पी. सुखविंदर सिंह एवं थाना माडल टाउन प्रभारी नरिंदर कुमार द्वारा कार्रवाई का आश्वासन मिलने के काफी देर बाद प्रदर्शनकारियों ने जाम खोला व आवाजाही सुचारु हुई।

जानकारी अनुसार मोहल्ला दशमेश नगर निवासी लवदीप कुमार उर्फ लवली अपनी पत्नी संगीता को प्रजनन के लिए सिविल अस्पताल लेकर आया था तथा उसने एक बेटे को जन्म दिया था। 12 मार्च को संगीता की हालत खराब होने पर अस्पताल स्टाफ ने रात्रि करीब 11 बजे उसे अमृतसर रैफर कर दिया था तथा वहां पर संगीता की हालत में सुधार लाने के लिए डाक्टरों को उसकी बच्चेदानी का आप्रेशन करना पड़ा व उन्होंने बच्चेदानी का बाहर निकाल दिया। हालांकि वहां पर डाक्टरों ने परिजनों की सहमति से उसका उपचार किया, परन्तु सिविल अस्पताल होशियारपुर के डाक्टरों एवं स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने मंगलवार 13 मार्च को अस्पताल के बाहर जाम लगाकर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और लापरवाही बरतने वाले डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

परिजनों ने बताया कि लवली एवं संगीत की एक साल पहले शादी हुई थी तथा 12 मार्च को सायं 6 बजे संगीता ने बेटे को जन्म दिया था। बच्चे को जन्म देने उपरांत से ही संगीता की हालत बिगडऩी शुरु हो गई व उसके शरीर का रंग पीला पडऩा शुरु हो गया था। संगीता की हालत ज्यादा बिगडऩे पर जब स्टाफ ने इस तरफ कोई ध्यान न दिया तो उनका सब्र टूटने लगा तथा उन्होंने डाक्टर से इस बाबत बताया। डाक्टर ने जब संगीता के रक्त की जांच की तो पता चला कि उसमें मात्र 3 ग्राम खून रह गया है तथा डाक्टर ने उसे अमृतसर रैफर कर दिया। परिजनों ने कहा कि महिला डाक्टर को बुलाए जाने की मांग पर अस्पताल स्टाफ ने बताया कि अस्पताल में महिला विशेषज्ञ डाक्टर नहीं है। इस पर उन्होंने अमृतसर जाने में ही भलाई समझी, परन्तु जिस एम्बुलैंस में संगीता को भेजा गया उसने न तो किसी डाक्टर को साथ भेजा गया और न ही स्टाफ नर्स को। जिसके चलते उन्हें संगीता की जिंदगी को लेकर डर बना रहा। रोष व्यक्त कर रहे परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन देते हुए डी.एस.पी. सुखविंदर सिंह ने कहा कि वे अपनी शिकायत लिखकर पुलिस को दें तथा मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी व आरोपियों के खिलाफ जो भी कार्रवाई बनती हुई जरुर की जाएगी। 2 घंटे से भी अधिक समय तक जाम लगाने एवं पुलिस द्वारा कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद परिजनों ने जाम खोला।

इस संबंध में पत्रकारों द्वारा एस.एम.ओ. डा. विनोद सरीन से बात करने पर उन्होंने बताया कि प्रजनन के बाद कई महिलाओं में ऐसी समस्या पैदा हो जाती है तथा स्टाफ की कमी के कारण बेहतर ईलाज हेतु मरीज को रैफर किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण ही एम्बुलैंस में डाक्टर व नर्स भेजना संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि संगीता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी गई थी व उसकी भलाई के लिए ही उसे रैफर किया गया था।

जब इस संबंध में पत्रकारों ने सिविल सर्जन डा. रेनू सूद रेणू सूद से बात की तो उन्होंने कहा कि सगीता की नार्मल डिलीवरी हुई थी तथा खून की कमी को देखते हुए उसे अमृतसर रैफर किया गया था। जहां तक डाक्टरों एवं स्टाफ की लापरवाही का सवाल है तो वे इसकी जांच करवाएंगी तथा रिपोर्ट में जो भी आरोपी पाया गया उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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