नूरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। हिमाचल के इतिहास में सबसे बड़े स्कूली बस हादसे में चेली गांव के समीप जहां निजी स्कूल बस गिरी है, उसी स्पॉट से करीब छह महीने पहले एक ट्रक भी गिरा था। बस, उसी जगह से गिरकर ट्रक के मलबे पर जाकर पहुंची। प्रशासन और लोक निर्माण विभाग ने पुराने हादसे से सबक लिया होता, तो शायद यह हादसा टल सकता था। ट्रक गिरने के बाद आज तक इस सडक़ पर पैरापिट तक नहीं लगाए गए। जानकारी के अनुसार मलकवाल-ठेहड़ संपर्क का निर्माण नाबार्ड के तहत किया गया है। इस पर अभी तक कोई पैरापिट नहीं लगाए गए हैं। उधर, लोक निर्माण विभाग नूरपुर के अधीक्षण अभियंता एस.वी. शर्मा ने कहा कि सडक़ काफी समय पहले बनी है। अभी तक पैरापिट क्यों नहीं लगे हैं, इसकी जांच की जाएगी।
निजी स्कूल बस में कुलाहड़ की पूनम पठानिया ने लिफ्ट ली थी, जो हादसे का शिकार बन गईं। पूनम स्कूल से कुछ दूरी पर लिफ्ट लेकर अपने गांव जा रही थी, लेकिन हादसा होने से उसकी भी मौत हो गई।
दिव्य पठानिया सुपुत्री राकेश पठानिया निवासी ठेहड़, रिया सुपुत्री रघुवीर सिंह कुठेड़, हार्दिक गुलेरिया सुपुत्र कमलजीत निवासी सुल्याली ने पठानकोट के निजी अस्पताल में दम तोड़ा।
बस में थी तकनीकी खराबी, आती थी आवाजें
नूरपुर में पेश आए हृदय विदारक हादसे का कारण बस में तकनीकी खराबी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि जो बस सोमवार को दुर्घटनाग्रस्त हुई, उसमें कई दिन से तकनीकी खराबी थी। इस तकनीकी खराबी के कारण बस जब सडक़ पर दौड़ती थी तो आवाजें करती थी। सूत्रों की मानें तो बस में तकनीकी खराबी होने की बात 2017-18 के पास आउट छात्र स्कूल प्रबंधन से कर चुके थे। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन ने बस को दुरुस्त करवाने की जहमत नहीं उठाई, जिसका खामियाजा करीब 30 जिंदगियों को अपनी जान से हाथ धो कर चुकाना पड़ा है और हादसे में कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए हैं। बस में तकनीकी खराबी होने और सूत्रों की बात में कितनी सच्चाई है, इसका पता तकनीकी जांच के बाद ही होगा। बहरहाल, इस बड़े हादसे ने कई घरों के इकलौते चिराग तक बुझा दिए हैं। इस हृदय विदारक हादसे में मारे गए मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए उपमंडल के सभी स्कूल बंद रहे। अगले दस दिन तक काँगड़ा जि़ले में सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए गये हैं। नूरपुर में पेश आए हादसे का कारण बस में तकनीकी खराबी हो सकती है। बस का चालक एक्स सर्विसमैन था तथा उसमें अनुभव की कोई कमी नहीं थी। फिर भी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने का पूरा सच दुर्घटनाग्रस्त बस की जांच करने के बाद ही सामने आएगा।