हरियाना में पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का शुभारंभ, साध्वी सरोज भारती ने सुनाई कथा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा पूरे देशभर में भगवान शिव कथाएं की जा रही है इसी के अंतर्गत आज स्मृति जंजघर,पहाड़ी गेट हरियाना में पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। क था के पहले दिन में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सरोज भारती जी ने बताया कि भगवान शिव की क था मानव जाति को सुख समृद्धि व आंनद देने वाली है क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। वे संपूर्ण विद्याओं के ईश्वर समस्त भूतों के अधीश्वर, ब्रह्यवेद के अधिपति तथा साक्षात परमात्मा हैं। भगवान भोलेनाथ की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है। लेकिन कथा सुनने व उसमें उतरने में अंतर होता है।

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सुनना तो सहज है, लेकिन इसमे उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। कथा के पहले दिन में महात्मय का वर्णन करते हुए साध्वी जी कहा कि चंचुला नाम की एक स्त्री थी जिसे जब संत का संग मिला तो वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। हमारे समस्त वेद-शास्त्र सत्संग की महिमा का व्याख्यान अनेंकों प्रकार से करते हैं। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई हैं। संत की कृपा से लंकिनी के जीवन में परिवर्तन हो गया। संत के चरणों का प्रताप ही ऐसा है कि अहल्या, शबरी जैसे भगत इसे प्राप्त कर सहज ही भवसागर से पार हो गये। संत के संग से ही मरूस्थल जीवन में बहार आ जाती है। नीरस जीवन सरस बन जाता है, परन्तु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सत्य और संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की और इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्त हैं। इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने लोक कल्याण के लिए हलाहल विष का पान कर लिया और अमृत देवताओं को देकर सारी मानव जाती के सामने एक सन्देश रखा कि यदि महान बनना चाहते है तो त्याग की भावना से पोषित होना पड़ेगा।

समाज की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य का अंत:करण अंधकारमय है। अज्ञानता के तम से आच्छादित है। जब-जब मानव के भीतर अज्ञानता व्याप्त होती है, तब तब मानवो का समाज मानवता से रिक्त हो जाता है। मानव में मानवीय गुणों का ह्यस होने लगता है। समाज में अर्धम ,अत्याचार, अनाचार ,भ्राष्टाचार आदि कुरीतियां अपना सिर उठाने लगती है यही कारण है कि हमारे ऋषि मुनियों ने उस परम तत्व के समक्ष ये प्रार्थना की है-हे प्रभु हमारे भीतर के अधंकार को दूर कीजिए ताकि ज्ञान प्रकाश को पाकर हम अपने जीवन को सुन्दर बना सके। जब तक मानव अज्ञानता के गहन अधंकार से त्रस्त रहेगा तब तक उसका सर्वागीन विकास सं5ाव नहीं हैं। जिस प्रकार बाहर के प्रकाश से बाह्य अधंकार दूर होता है उसी प्रकार आंतरिक ज्ञान प्रकाश से आंतरिक अज्ञान तमस नष्ट होता है। ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरू की शरण में जाकर ही होगी, जो मानव के भीतर उस ईश्वरीय प्रकाश को प्रकट कर देते हैं। यही कारण है कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया तो इसकी प्राप्ति हेतू गुरू के सानिध्य में जाने का उपदेश दिया।

इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुगण और गणमान्य सज्जन पहुंचे। अन्य साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों के गायन से उपस्थित प्रेमियों को आनन्द विभोर किया। कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया। आरती में विशेष रूप में विनोद ठाकुर, रणजीत राणा, दीपक गुलेरिया, दिलबाग सिंह एस.एच.ओ, सरपंच वीना, सुरेश पार्षद, श्रीमति निर्मला, राजीव डोगरा, राकेश केशी, चंद्र शेखर गर्ग, पत्रकार शादी लाल आनंद, पत्रकार राम गोपाल, पत्रकार कुलदीप बहल, प्रदीप प्रभाकर, मुकेश डडवाल, करण योग आचार्य, जसविंदर सिंह राजू, अजय चोपडा, राकेश डडवाल व अभिनंदन आदि उपस्थित थे।

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