होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए व जीवन सफल बनाने के लिए ब्रह्मज्ञान बहुत जरुरी है। हरेक के लिए सुख पहुंचाने का साधन बनना है। हमें अपने जीवन को गुणों से भरना है जिससे अपने आप ही गुणों की खुशबू जन जन तक पहुंचनी शुरू हो जाएगी। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पडरपुर में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए।
उन्होंने फरमाया कि मिलवर्तन व भाइचारे की भावना को अपनाते हुए समदृष्टि वाले भाव अपनाने चाहिए। ब्रह्मज्ञान प्राप्त होने के बाद निरंकार प्रभु की जानकारी हो जाती है जिसके बाद निरंकार का अहसास पल पल बना रहता है। इंसान ब्रह्मज्ञान हासिल करने बाद ही भक्ति के मार्ग पर चलना शुरू कर देता है।
जब इंसान को इस निरंकार प्रभु की जानकारी हो जाती है तो मन के भाव बदलने शुरू हो जाते है, हरेक इंसान के साथ प्यार, विनम्रता व सहनशीलता वाले गुण अपने आप आने शुरु हो जाते है। इन गुणों का जीवन में आने के बाद जीवन का रूप सुंदर बनता चला जाता है। सतगुरु माता जी ने फरमाया कि आज संसार में देख रहे है कि नफरत, वैर, विरोध की आग लगी हुई है। संतो महापुरुषों का क्या काम रहा है उन्होंने हमेशा संसार में ठंडक फैलाने का काम किया है, यह कब होगा जब इंसान इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर लेता है और संतमत को अपना लेता है, संतो का संग करने से इंसान में दैवी गुण अपने आप आने शुरू हो जाते है। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्घालुगण उपस्थित थे।