संकट की घड़ी में फीस के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण बंद करवाए प्रशासन: हरजीत सिंह मठारु

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। चैरीटेबल संस्थाओं की आड़ में स्कूल चलाने वाले प्रबंधकों द्वारा फीस के नाम पर अभिभावकों का जो शोषण किया जा रहा है उसे किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि सरकार के आदेशों के विपरीत अभिभावकों का फीस के नाम पर किया जा रहा शोषण रोका जाए। क्योंकि, कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए हालातों से आज हर वर्ग और क्षेत्र प्रभावित हुआ है तथा लोगों के पास दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल बना हुआ है। लेकिन चैरिटी के नाम पर संस्थाएं चलाने वाले यह प्रबंधक किसी न किसी तरीके से अभिभावकों का आर्थिक शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सवाल यह है कि कुछेक कानवेंट स्कूल जोकि पिछले 30-40 साल से चल रहे हैं और मोटी फीसें वसूलते हैं, क्या उनके पास इतने भी फंड नहीं कि वे अपने कर्मियों को दो माह का वेतन दे सकें या अन्य खर्च कर सकें।

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जबकि इन दिनों में स्कूलों का खर्च काफी कम हुआ है। लेकिन बावजूद इसके स्कूल प्रबंधकों द्वारा बार-बार अभिभावकों पर फीसें जमा करवाने का दवाब बनाया जा रहा है। जोकि गलत है। यह बात सेंट जोसफ कांवेंट स्कूल की पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रधान हरजीत सिंह मठारु ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि चैरिटी के नाम पर स्कूल चलाने वाले इन प्रबंधकों ने निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ दिया है तथा फीसों के नाम पर तिजोरियां भरने का जो गौरखधंधा इनके द्वारा चलाया जा रहा है उसे रोकना समय की मांग और जरुरत है। क्योंकि, जब भी सरकार इन पर शिकंजा कसने का प्रयास करती है तो यह चैरिटेबल होने की आड़ में बच निकलते हैं। परन्तु सरकार के आदेशों के विपरीत कार्य करते समय इनके द्वारा कोई संकोच नहीं किया जाता।

इसलिए इन स्कूलों के खाते और कार्यप्रणाली की जांच की जानी भी जरुरी है ताकि चैरिटी के नाम पर चल रही इन संस्थाओं का गौरखधंधा सभी के सामने आए। हरजीत सिंह मठारु ने कहा कि एक तरफ कुछ स्कूल ऐसे हैं जो न्यूनतम फीस लेकर भी अभिभावकों को और राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैंव कई स्कूलों ने दो माह की फीस माफ भी की है, वहीं कानवेंट स्कूल हैं कि एक भी रुपया छोड़ा नहीं जा रहा तथा अभिभावकों पर दवाब बनाकर जल्द फीस भरने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिलाधीश से भेंट करके उन्हें एक मांगपत्र भी दिया गया था।

जिसमें बताया गया था कि स्कूल किसी भी तरह की कार्यवाही से बचने के लिए अध्यापकों के माध्यम से संदेश भेज कर फीस की मांग कर रहे हैं ताकि स्कूल पर प्रत्यक्ष रुप से कोई आरोप न आ सके। उन्होंने मांग की कि इस संवेदनशील मामले पर प्रशासन को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी चाहिए ताकि अभिभावकों का आर्थिक शोषण बंद हो सके और इन स्कूलों की मनमर्जी पर भी लगाम लगे।

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