रिपोर्ट: विकास स्टैलर।
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अवैध खनन पर सरकार व प्रशासन की सख्ती के चलते जहां पर्यावरण प्रेमियों और खनन से परेशानी झेल रहे लोगों ने राहत की सांस ली है वहीं दूसरी तरफ लोगों के घरों तक रेत पहुंचाने में लगे गधों की इन दिनों जहां डिमांड बढ़ गई है वहीं उनकी काफी चांदी हो रही है। ट्रैक्टर-ट्रालियों और ट्रालों के माध्यम से रेत न मिलने के चलते गधों और खच्चरों की माध्यम से रेत घर-घर पहुंचाने में लगे लोगों के लिए गधों और खच्चरों की ‘वैल्यू’ बढ़ गई है, क्योंकि जो गधा 25-30 रुपये में मिल जाता था वे 100-150 रुपये में बिक रहा है तथा रेहड़े के दाम भी 200-250 से बढक़र 7-8 सौ तक पहुंच चुके हैं।
ऐसे में लोगों को अपनी जरुरत पूरी करने के लिए गधों और खच्चरों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके चलते गधों और खच्चरों के मालिक खुद को गौरवांवित भी महसूस करने लगे हैं, क्योंकि अवैध खनन वालों ने इनका धंधा लगभग समाप्त ही कर दिया था। परन्तु खनन पर लगी रोक से इनके दिन फिरने लगे हैं। हालांकि इसे जनता की जेब पर डाका की नजर से देखा जा रहा है वहीं लोग अपनी जरुरत पूरी करने के लिए इनके पीछे-पीछे घूम रहे हैं। लोगों की परेशानी किसी के लिए कमाई का साधन बन रहा है और इस धंधे में लिप्त इस सख्ती को कैश करना नहीं छोड़ रहे। यह भी पता चला है कि गधों व रेहड़े पर रेत सप्लाई करने वालों में भी अधिकचतर के हाथ पुराने रेट से थोड़ी ज्यादा अमाउंट ही लग रही है, क्योंकि इस धंधे में लिप्त बड़े आका अपनी जेब के लिए भी उनकी मेहनत से खूब नोट बटौर रहे हैं।