रेलवे स्टेशन पर तिरंगे का अपमान, क्षतिग्रस्त होने के बावजूद नहीं उठाई गई उतारने या बदलने की जहमत

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। रेलवे स्टेशन होशियारपुर के ठीक सामने करीब 100 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया है जो शान से फहराता हुआ नज़र आता है। जो हम सभी को जहां देशभक्ति की प्रेरणा करता है वहीं हमें इसकी आन-बान और शान को बनाए रखने का भी संदेश देता है। लेकिन इस ध्वज की खातिर जहां हमारे जवान सरहदों पर ही नहीं बल्कि देश के  भीतर छिपे गद्दारों एवं असामाजिक तत्वों से लोहा लेते हुए इस पर अपनी जान तक न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं वहीं कुछ ऐसे अधिकारी भी हैं जो इसकी शान को बनाए रखने हेतु अपने दायित्व को ईमानदारी से निभाना भी जरुरी नहीं समझ रहे। फ्लैग एक्ट की बात करें तो पता चला है कि अगर तिरंगा क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे तुरंत उतारा जाता है और बदला जाता है तथा तेज हवाओं व तेज बारिश से बचाने हेतु भी इसे उतारा जाता है ताकि इसे कोई नुकसान न पहुंचे। लेकिन रेलवे स्टेशन पर तिरंगा लगाने वालों ने शायद गाइडलाइन्स पढ़नी जरुरी नहीं समझी, जब पढ़ी ही नहीं तो फिर पालन करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, इसीलिए शायद तिरंगे के अपमान पर सभी चुप्पी धारे बैठे हैं।

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पिछले कुछ दिनों से रेलवे स्टेशन पर लगाया गया तिरंगा क्षतिग्रस्त हो गया था तथा लहराता हुए उसे देख उसे पहुंची क्षति साफ तौर पर देखी जा सकती है। लेकिन शायद ही तिरंगे को पहुंची क्षति रेलवे अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को दिखी होगी या उन्होंने इसे शायद ही निहारना जरुरी समझा होगा। अगर किसी अधिकारी ने इसे ध्यान से देखा होता तो अब तक या तो इसे उतार दिया गया होता और या फिर इसके स्थान पर नया तिरंगा लगाया जा चुका होता। वैसे में सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार रेलवे स्टेशन पर जो तिरंगा लगाया गया है वह रेलवे द्वारा लगवाया गया है और इसकी क्वालिटी को लेकर भी संशय है तथा इतनी ऊंचाई पर यह तिरंगा तेज हवाओं को झेलने के काबिल ही नहीं था, लेकिन फिर भी इसे लगा दिया गया और अब जबकि यह तेज हवाओं के दवाब में क्षतिग्रस्त हो गया है तो इसे बदलने की जहमत नहीं उठाई जा रही। अब देखना यह होगा कि इतनी बड़ी लापरवाही पर रेलवे विभाग क्या एक्शन लेता है तथा भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए क्या नीति बनाई जाती है तथा कितनी जल्दी इसे बदला जाता है।

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