Eye Donation: कारनिया ट्रांसप्लांट के नाम पर पूंजीपतियों से “मोटी उगाही”

-स्वयं-भू प्रधान कर रहा कुलैक्शन, कई सदस्य कर चुके हैं इस स्वयं-भू प्रधान से किनारा, उद्योगपति और पूंजीपतियों से शातिराना तरीके से ‘वसूल’ रहा दान-

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Editor’s Opinion: Capt. Munish Kishore
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। समाज सेवा एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही सामने वाले के मन में भी समाज सेवा के प्रति कुछ करने गुजरने का तमन्ना जरुर होती है। अन्य समाज सेवी कार्यों के सथ-साथ आजकल एक और कार्य बहुत ही पुण्य का साधन बन रहा है तथा वह है नेत्रदान। अंधापन का शिकार लोगों को नेत्र प्रदान करने के लिए समाज में आज कई संस्थाएं कार्यरत हैं तथा वे समय-समय पर लोगों को मरणोपरांत नेत्रदान करने की प्रेरणा करती हैं और अंधापन का शिकार लोगों को एक-एक आंख लगाकर उन्हें दुनिया देखने लायक बना रही हैं। परन्तु इस पावन समाज सेवी कार्य से जुड़े कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए यह पुण्य कार्य पूंजीपतियों और समाज के अन्य सामर्थ लोगों से उगाही का साधन बना हुआ है। (द स्टैलर न्यूज़)
होशियारपुर में भी इस पुण्य कार्य से जुड़े एक स्वयं-भू प्रधान की कार्यप्रणाली इन दिनों खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। स्वयं-भू प्रधान की कार्यप्रणाली कितनी पारदर्शी है इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि कारनिया ट्रांसप्लांट के नाम पर वह जहां एक विदेश की संस्था (मुख्य रुप से पंजाबी द्वारा चलाई जा रही संस्था) से खर्च ले रहा है वहीं यहां के उद्योगपतियों से भी कारनिया ट्रांसप्लांट के नाम पर चैक पे चैक वसूल रहा है। अब सवाल यह है कि अगर विदेश की संस्था समस्त कारनिया का खर्च उठा रही है तो फिर पूंजीपतियों द्वारा दी जाने वाली दान राशि कहां जा रही है इसका जवाब किसके पास है यह तो तथाकथित प्रधान व उसके साथी ही बता सकते हैं। वह इतने शातिराना तरीके से उगाही में लगा है कि दान देने वाले को पता ही नहीं चलता। वह तो मानवता की सेवा के नाम पर अपनी यथाशक्ति से बढक़र सहयोग करने को आगे आते हैं।(द स्टैलर न्यूज़)

इस स्वयं:भू प्रधान का आज हाल यह है कि एकाध साथी को छोड़ अधिकतर सदस्य उससे किनारा कर चुके हैं। और तो और यह भी पता चला है कि हिसाब मांगने पर स्वयं-भू प्रधान जहां आना कानी करता रहा वहीं दानी सज्जनों द्वारा अन्य स्थानों पर दान दिए जाने को लेकर भी उसे खासी आपत्ति हो रही है। अभी यह पता नहीं चला कि इस तथाकथित प्रधान द्वारा किए जा रहे कारनामों को उक्त का उद्योगपतियों व अन्य दानी सज्जनों को पता चला है या उनसे इस बात को छुपाया ही गया है। (द स्टैलर न्यूज़) ऐसे लोगों के इस प्रकार के कृत्यों से जहां समाज सेवा में लगी अन्य संस्थाओं का अक्स भी धूमिल होता है वहीं सामर्थ व पूंजीपतियों द्वारा दान करने की उनकी इच्छा शक्ति पर भी असर पड़ता है। जिससे कई लोग समाज सेवा के लाभ से वंचित रह जाते हैं। फिलहाल तो शहर में इस तथाकथित स्वयं-भू प्रधान के खासे चर्चे हैं तथा यह भी पता चला है कि अगर एक-दो सप्ताह तक उसने खुद ही समाज सेवा के नाम पर चलाए अपने गौरखधंधे बंद न किए तो शहर की कई संस्थाएं उसके खिलाफ मोर्चा खोल देंगी और उसके द्वारा दान के नाम पर की जा रही मोटी उगाही का पर्दाफाश कर देंगे।(द स्टैलर न्यूज़)

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