भाजपा का गद्दार कौन? विधायक सोम प्रकाश के वाक्यों पर गर्मायी राजनीति!

-कै. मुनीष किशोर (द स्टैलर न्यूज़)-
होशियारपुर में बैसाखी के मेले में पंजाब के फगवाड़ा हल्के से भाजपा विधायक सोमप्रकाश द्वारा होशियारपुर से भाजपा उम्मीदवार तीक्ष्ण सूद की हार के लिए पार्टी के गद्दार जिम्मेदार हैं कहना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ जहां अपनी ही पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को गद्दार कहकर सोमप्रकाश के प्रति कार्यकर्ताओं में नाराजगी है वहीं होशियारपुर जिला भाजपा ने इस संबंधी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए हाईकमांड को लिखा गया है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि विधायक सोमप्रकाश का होशियारपुर से भाजपा नेता व पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद से काफी मित्रता है तथा वे एक ही गुट के माने जाते हैं। दूसरी तरफ होशियारपुर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला और भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना का गुट है। यह तो सभी जानते हैं कि तीक्ष्ण और खन्ना गुट में कितनी कड़वाहट है और इस कड़वाहट का हिस्सा बने तीसरे गुट यानि सांपला गुट को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में अकसर ही चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है। पार्टी नेताओं की माने तो पार्टी आला कमांड को होशियारपुर की स्थिति की स्पष्ट जानकारी है, क्योंकि जब प्रदेश व राष्ट्र स्तर के नेता होशियारपुर से हैं तो इस बात से इंकार भी कैसे किया जा सकता है। देश में जहां मोदी लहर के चलते भाजपा का परचम फहरा रहा हो, मगर पंजाब में भाजपा को मिली करारी हार

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जहां अकाली दल के प्रति जनता का रोष और भाजपा का अकालियों का साथ देना जनता को गवारा न हुआ वहीं भाजपा में संगठनात्मक ढांचे की कमी और आपसी फूट ने पार्टी की हार को और भी पुख्ता कर दिया था, जिसके आसार पहले ही नजर आने लगे थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहते हुए अविनाश राय खन्ना ने जहां 23 में से 19 सीटें जीत कर पार्टी की झोली में डाली थी वहीं उसके साथी विजय सांपला के लिए यह समय अच्छा साबित नहीं हुआ और वे मात्र 3 सीटें ही पार्टी को जितवा सके। उनमें भी एक सोमप्रकाश की है, जिनका सांपला के साथ 36 का आंकड़ा माना जाता है तथा सोमप्रकाश का दावा है कि उन्होंने अपने दम पर सीट जीत कर पार्टी की झोली में डाली है। यह भी चर्चा है कि अविनाश राय खन्ना के कुशल नेतृत्व का लाभ लेने में सांपला पूरी तरह से नाकाम माने जा रहे हैं, क्योंकि देश के अन्य हिस्सों में जहां-जहां भी खन्ना गए हैं वहां-वहां पार्टी को मजबूती मिली है तथा अपने ही जिले में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने में खन्ना गुट को कमजोर समझा जा रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो भले ही लोकदिखावे के लिए खन्ना व सांपला गुट एक होने का दिखावा करता हो, अंदर खाते हालात राजनीतिक तौर पर उल्ट होते दिखाने देने लगे हैं, जिसके चलते भी सांपला खन्ना से कुशल नेतृत्व के गुण हासिल करने में असफल माने जा रहे हैं। इतना ही नहीं सांपला का अपने हल्के की तीनों सीटें हार जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।


खैर ये तो रहीं खन्ना और सांपला की बात। अब मुख्य मद्दे पर लौटते हैं कि ‘विधायक सोमप्रकाश ने सार्वजनिक तौर पर जो बात कही उसकी गहराई और वे कहां व किस पर बिना नाम लिए’ बोल कर गए हैं यह तो राजनीतिक माहिर ही जानें, फिलहाल उनके द्वारा मंच से कही गई बात ने उन कार्यकर्ताओं व नेताओं को खासी ठेस पहुंचा रही है जिन्होंने 2009 में उनके लिए एम.पी. चुनाव में तथा तीक्ष्ण सूद के लिए 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए वोट मांगने हेतु दिन-रात एक कर दिया था।

वर्ष 2009 की बात करें तो होशियारपुर लोकसभा सीट से सोमप्रकाश को पार्टी ने टिकट देकर जीत का लक्ष्य दिया था। परन्तु उस समय कांग्रेस से मिली हार की टीस आजतक सोमप्रकाश व उनके साथियों को सताती है। माना जाता है कि उस चुनाव में भी जहां भाजपा की गुटबंदी को लेकर कई चर्चाएं थी। और तो और राजनीतिक गलियारों में तो यहां तक भी कहा जाता था कि सोमप्रकाश के साथ जुड़े कुछ लोगों ने भी उनकी नैया पार न लगने देने की कसम उठा रखी थी। जिसकी चलते भाजपा के सोमप्रकाश यह सीट जीतते-जीतते रह गए। उनकी हार में जहां गुटबाजी ने अहम रोल अदा किया वहीं कुछ ऐले लोगों ने भी नौका में छेद किया,

जिन्हें बाद में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में हार मिलने उपरांत तीक्ष्ण सूद ने अपनी हार के बाद अपनी आंखों से दूर कर दिया था। उनमें से बाद में कई खन्ना व कुछेक तो सांपला गुट के साथ जा जुड़े थे। ऐसे में सोमप्रकाश का ‘पार्टी के गद्दारों’ शब्द का प्रयोग करते हुए निशाना साधना पार्टी की अंदरुनी कल्ह को हवा दे गया है। जिसके चलते आने वाले दिनों में भाजपा के लिए दिन कितने सुखद रहते हैं यह तो समय ही बताएगा, बहरहाल भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में उनके ये शब्द तीर की तरह चुभे हैं और हर कोई उनका ऐसे कहने का अर्थ ही खोजता नजर आ रहा है तथा एक दूसरे पर टकटकी लगाए कई कार्यकर्ता ‘नाम लिए बिना इशारों ही इशारों में सारा वतृांत व्यक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

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