पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता मुहिम तेज़ करने की हिदायत

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़): राज्य के कुछ इलाकों में पशुओं में फैली लम्पी स्किन नामक संक्रमण की बीमारी की रोकथाम और बचाव के लिए जागरूकता के लिए पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई मुहिम को तेज़ करने की हिदायत करते हुये पशु पालन, मछली पालन और डेयरी विकास मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने विभाग के अधिकारियों को कहा है कि वह इस बीमारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइज़री और दिशा-निर्देशों की सख़्ती से पालना यकीनी बनाएं। मंत्री ने बताया कि संक्रमण की बीमारी होने के कारण लम्पी स्किन गायों/भैंसों में बहुत जल्दी फैलती है। इस बीमारी का वायरस कैप्री पॉक्स मक्खी/मच्छर/चिच्चड़ों के द्वारा पशुआं में फैलता है जिस कारण पशुओं को बुख़ार होने साथ-साथ उनके शरीर के लगभग सभी हिस्सों पर दाद पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि हालाँकि पशु हफ़्ते बाद ठीक होना शुरू हो जाता है परन्तु डेयरी फ़ार्मरों को पशुओं के बचाव के लिए बहुत एहतियात बरतने की ज़रूरत है।

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स. भुल्लर ने क्षेत्र में तैनात समूह वैटरनरी अधिकारियों को हिदायत की कि वह अपने इलाके में निरंतर दौरे करते रहें और कहीं भी इस बीमारी के फैलने की सूचना मिलती है तो तुरंत अपेक्षित सहायता मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि वैटरनरी अधिकारी/वैटनरी इंस्पेक्टर अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन आते गाँवों के पशु पालकों/किसानों को बीमारी के लक्ष्णों/ रोकथाम के तरीकों संबंधी अवगत करवाने के लिए गुरूद्वारों/अन्य धार्मिक स्थानों से लाउड स्पीकरों के द्वारा अनाऊंसमैंट कराएं और सरपंचों के द्वारा गाँव वासियों कु एकत्रता करवा के बीमारी से बचाव सम्बन्धित जागरूक करें।

पशु पालन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान की हिदायतों पर पशु धन को लम्पी स्किन बीमारी से बचाने के लिए ज़िला स्तरीय टीमें पहले ही गठित कर दीं गई हैं। इसके इलावा नॉर्थ रीज़नल डिज़ीज़ डायग्नौस्टिक लैब ( एन. आर. डी. डी. एल.) जालंधर की टीम भी प्रभावित जिलों का दौरा कर रही है। उन्होंने कहा कि पशु पालन विभाग के समूह अधिकारी और कर्मचारी पशु-पालकों की हर तरह से सहायता कर रहे हैं। इसलिए पशुपालक किसी घबराहट में न आएं। स. भुल्लर ने विशेष के तौर पर कहा कि चाहे इस बीमारी की मनुष्य में फैलने की पुष्टि नहीं हुई परन्तु फिर भी पशुओं की देखभाल वाले श्रमिक/पशु पालक हैड सैनेटाईज़र, दस्ताने और मास्क का प्रयोग करें। इस बात का भी ख़ास ख़्याल रखा जाये कि बीमार पशुओं की देखभाल करने वाला व्यक्ति तंदुरुस्त पशुओं के शैडों में न जाये।

एडवाइज़री के मुताबिक बीमारी से बचाव के तरीके

एडवाइज़री के मुताबिक पशु पालक बीमारी के लक्षण पाये जाने पर तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल के वैटरनरी/पैरा वैटरनरी स्टाफ को सूचित करें और पीड़ित पशुओं और उनसे सम्बन्धित साजो-सामान और अन्य सामग्री को तुरंत बाकी पशुओं से अलग कर दें। प्रभावित या शक्की पशुओं के यातायात पूर्ण रूप में बंद किया जाये और प्रभावित जानवर किसी भी हालत में किसी अन्य फार्म, गाँव या क्षेत्र में न भेजा जाये। बीमारी से प्रभावित क्षेत्र में पशुओं का यातायात, ख़रीद-फ़रोख़्त मुकम्मल तौर पर बंद किया जाये। मक्खी/ मच्छर/ चिच्चड़ों की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया जाये। डेयरी फार्म/ पशुओं के स्थल को विषाणु रहित करने के लिए विभाग के स्टाफ के साथ सलाह-परामर्श करके फ़ार्मलीन 1 प्रतिशत या सोडियम हाईपोक्लोराईट 2-3 प्रतिशत आदि का प्रयोग किया जाये। सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर सांढों में यह बीमारी आती है तो उनसे वीर्य प्राप्त ना किया जाये। पशु पालकों को सलाह दी कि तंदुरुस्त गायों को गोट-पौक्स वैक्सीन लगवाना यकीनी बनाएं जिससे उनको इस बीमारे से पहले ही बचाया जा सके। विभाग के स्टाफ को भी हिदायत की गई है कि वैक्सीन लगाते समय सफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाये और सरकारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक वैक्सीन लगाई जाये।

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