होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पढ़ेलिखे बेरोजगारों को पकौड़े बेचने की सलाह देकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं का जो उपहास किया है उससे युवाओं का मनोबल क्षीण हुआ है। इतिहास में आजतक शीर्ष पद पर बैठे किसी व्यक्ति ने शायद ही युवाओं के भविष्य के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया हो। हैरानी की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री द्वारा कही बात पर पर्दा डालने के लिए उसके अंधे सिपाही लोगों को गुमराह करके पकौड़ों की राजनीति करने पर उतर आए हैं। जिसके चलते देश के शिक्षित युवा खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
उक्त बात जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हरीश आनंद ने देश भर में पकौड़ा राजनीति पर देश के प्रधानमंत्री की निंदा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि रोजगार कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता, मगर मोदी सरकार यह बताए कि अगर कोई रोजगार न मिलने की सूरत में पकौड़े की दुकान व रेहड़ी लगाता है तो उसमें सरकार का क्या योगदान है? एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे, जिन्होंने युवाओं को तकनीक से जोड़ते हुए कम्प्यूटर युग का प्रारंभ किया था और शर्म की बात है कि एक मोदी जी हैं, जिन्होंने युवाओं को पकौड़े बेचने की सलाह दे डाली है। जिस पर उनके अंधे भक्तों की टोली युवाओं को इसके मायने समझाने में लगी है।
भाजपा यह बताए कि उसके कितने कार्यकर्ताओं एवं नेताओं ने या उनके बच्चों ने यह रोजगार अपनाया है। अगर, नहीं तो देश के युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने में असमर्थ रहने वाली मोदी सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए ऐसी सलाह न दे। हरीश आनंद ने कहा कि यह भी किसी से छिपा नहीं कि 2 करोड़ रोजगार एक साल में मुहैया करवाने के घोषमा पत्र में दावे करने वाली मोदी सरकार चार साल में इसकी आधी संख्या को भी नहीं छू सकी है। जिससे स्पष्ट है कि यह सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है।
भाजपा नेता व कार्यकर्ता जिस तरह से पकौड़ा राजनीति करके पकौड़े बनाने वालों को सम्मानित कर रहे हैं, उनमें से अधिकतर दुकानदार तो वहीं हैं जिनका यह पुश्तैनी काम है। इसमें सरकार का क्या योगदान है? भाजपा नेता यह भी बताएं कि उनकी इस पकौड़ा परियोजना के बाद कितने शिक्षित युवाओं ने इस रोजगार को अपनाया है, उनकी जानकारी हमें दें हम भी उन्हें सम्मानित करेंगे।