“फिल्मफेयर अवार्ड” से सम्मानित मशहूर गीतकार संतोष कर रहे शारीरिक व आर्थिक दिक्कतों का सामना

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। मशहूर गीतकार संतोष आनंद (81) ने बॉलीबुड इंडस्ट्री को बहुत सारे संगीत दिए हैं। परंतु अब वह समय आ गया है कि संतोष बहुत बूढ़े हो चुके हैं तथा उनके पास कोई भी काम करने के लिए नहीं है इसलिए इंडस्ट्री का फर्ज बनता है कि अब वह संतोष का इस कठिनाई में साथ दें। बता दें कि संतोष ने मोहब्बत है क्या चीज़, एक प्यार का नगमा है, मेघा रे मेघा रे मत जा तू परदेश, जिंदगी की न टूटे लड़ी प्यार करले घड़ी दो घड़ी जैसे बढिय़ा गाने हमें दिए हैं।

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संतोष के बेटे संकल्प ने 2014 में सुसाइड कर लिया था। तब से वह भी खुद शारीरिक रूप से कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। परंतु अब संतोष इंडियन आइडल 12 में नजऱ आने वाले हैं तथा बालीवुड व पालीबुड गायक नेही कक्कर नें उनकी सहायता के लिए 5 लाक रूपए दिए हैं तथा इसके अलावा विशान ददलानी ने भी उनसे उनके लिखे गीत मांगे तथा कहा कि वह इन्हें जल्द रिलीज़ करेंगे। इस दौरान संतोष ने भी अपने जीवन की कुछ जानकारी सांझी की उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना पहला गाना एक प्यार का नगमा है लिखा था जोकि 1972 की फिल्म शोर में सुना गया था। उसके बाद फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए “और नहीं बस नहीं” और “मैं न भूलूंगा” जैसे गानों को लिखा था। इसके लिए उन्हें बेस्ट लिरिसिस्ट का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था।

उन्होंने बताया कि उनको 10 साल बाद बेटे की प्राप्ति हुई थी, जिसका नाम संकल्प रखा गया था। उन्होंने बताया कि उनका बेटा संकल्प गृह मंत्रालय में आइएएस अधिकारियों की सोशियोलाजी और क्रिमिनोलाजी पढ़ाते थे और वह काफी समस से परेशान था। उन्होंने बताया कि परेशानी के चलते उनके बेटे ने सुसाइड कर ली थी तथा एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें डिपार्टमैंट के कई अधिकारियों का नाम शामिल था। सुसाइड नोट में संकल्प ने लिखा था कि करोड़ों के फंड में गड़बड़ी के चलते इन अधिकारियों ने उन्हें ,सुसाइड के लिए मजबूर किया था। उन्होंने बताया कि संकल्प ने 15 अक्टूबर 2014 को पत्नी के साथ दिल्ली से मथुरा गए थे। वहां उन्होंने कोसीकलां कस्बे के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी थी। तब से संतोष अपने जीवन को दुखों के सहारे काट रहे हैं।

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