शहीद ऊधम सिंह के बुत के आसपास सफाई के अभाव ने शहीदों के प्रति सरकार और प्रशासन की बेरुखी उजागर कीः एडवोकेट मरवाहा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। शहीद ऊधम सिंह के शहीदी के मौके पर नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट राकेश मरवाहा ने साथियों सहित शहीद ऊधम सिंह मार्किट में लगाए गए शहीद ऊधम सिंह के बुत पर फूल मालाएं भेंट करके उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की। इस मौके पर लक्की मरवाहा, नवदीप ओहरी, सौरव जैन व पुनीत शर्मा ने भी शहीद के बुत पर फूल मालाएं भेंट करके नमन किया। इस मौके पर शहीद ऊधम सिंह को नमन करते हुए एडवोकेट मरवाहा ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि जिन शहीदों ने देश के उज्ज्वल भविष्य एवं आन-बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, उनके शहीदी दिवस पर प्रशासन के पास इतना भी समय नहीं कि वह मार्किट में लगाए गए बुत के आसपास सफाई करवा सके। जबकि शहीद ऊधम सिंह मार्किट जोकि नगर सुधार ट्रस्ट की मार्किट है के सामने ही मिनी सचिवालय स्थित है तथा रोजाना कई बड़े अधिकारी इसके सामने से गुजर कर सचिवालय में प्रवेश करते हैं।

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शहीद ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर मरवाहा ने साथियों सहित शहीद के बुत पर फूल मालाएं भेंटकर दी श्रद्धांजलि

श्री मरवाहा ने कहा कि मिनी सचिवालय पर लगा तिरंगा जोकि शहीद के बुत के ठीक सामने सचिवालय की इमारत पर लहलहा रहा है, भी सरकार और सरकारी तंत्र का रंगढंग देखकर शर्मसार हो रहा होगा। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले नगर सुधार ट्रस्ट का चेयरमैन रहते हुए उन्होंने तत्कालीन सरकार के निर्देशों पर ट्रस्ट की समस्त मार्किटों के नाम शहीदों के नाम पर रखे थे और वहां पर शहीदों, जिनमें शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, लाला लाजपतराय जी और करतार सिंह सराभा के बुत स्थापित करवाए थे, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपने शहीदों के बारे में जान सकें और उनके आदर्शों को अपनाकर देश सेवा कर सकें। परन्तु दुख की बात है कि शहीदों के नाम पर सरकारें बनाने वाली पार्टी और उसका प्रशासन शहीद ऊधम सिंह की कुर्बानी को भूल गया। इतना ही नहीं पिछली सरकार ने होशियारपुर में मैडीकल कालेज बनाने की कवायद शुरु की थी, जिसका नाम शहीद ऊधम सिंह जी के नाम पर रखा जाना है।

मगर मैडीकल कालेज का कार्य आज तक शुरु न होना भी दुखद है और शहीदों की प्रति बेरुखी का प्रमाण है। श्री मरवाहा ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1899 को हुआ था और उन्हें अंग्रेज हकूमत ने 31 जुलाई 1940 को फांसी की सजा दी थी। उन्होंने लंबा अरसा इंतजार करके भारतीयों पर किए गए अत्याचार का बदला अंग्रेजों से लिया था, जिसे पढ़कर एवं सुनकर आज भी देशवासी गौरवांवित होते हैं। श्री मरवाहा ने कहा कि सरकारें आती जाती रहती हैं और सरकारी तंत्र में भी बदलाव होते रहते हैं, लेकिन हमारे भारत माता के वीर सपूतों और महान शहीदों के प्रति हमें सदैव नतमस्तक रहना चाहिए और उनके जन्मदिन एवं शहीदी दिवस बहुत ही उत्साह एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाने चाहिए ताकि हमारे युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को इससे प्रेरणा मिल सके।

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