हालात देख पल-पल बदल रही स्वास्थ्य विभाग की रणनीति, कोरोना संदिग्धों के अलावा अन्य मरीजों की भी चिंता

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जम्मू-कश्मीर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। माहमारी यानी कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की रणनीति पल-पल बदल रही है। विभाग के समक्ष कोरोना के संदिग्धों का इलाज करने की चुनौती है तो अन्य बीमारियों के मरीज दरबदर न हो, यह भी सुनिश्चित बनाने की जिम्मेदारी है। यही कारण है कि अब जीएमसी को पूरी तरह से डेडिकेटेड अस्पताल बनाने का फैसले फिलहाल टाल दिया है। इसके स्थान पर चेस्ट डिजिजेस अस्पताल को डेडिकेटेड अस्पताल बनाने पर सहमति बनी है।

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-आखिर क्यों खाली करवाया गया जम्मू चेस्ट डिजिजेस अस्पताल

सरकार ने पहले फैसला किया था कि मनोरोग अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पताल जम्मू को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया जाएगा। दोनों को बीते बुधवार तक तैयारी करने का समय दिया था। मनोरोग अस्पताल के मरीजों को चेस्ट डिजिजेस अस्पताल में शिफ्ट किया। मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों के विभिन्न विभागों के एचओडी की हुई अहम बैठक में चर्चा हुई कि अगर जीएमसी को कोविड अस्पताल बना दिया तो अन्य बीमारियों के मरीजों को दरबदर होना पड़ेगा।

डॉक्टरों के लिए सभी बीमारियों के मरीजों का इलाज सुपर स्पेशलिटी और चेस्ट डिजिजेस अस्पताल में करना संभव नहीं था उन्होंने जीएमसी को कोविड अस्पताल में बदलने के फैसले पर सरकार को फिर विचार करने को कहा। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि जीएमसी को कोविड अस्पताल में बदलने का फैसला बदल गया है। जीएमसी के स्थान पर चेस्ट डिजिजेस अस्पताल को कोविड अस्प्ताल में बदला जा रहा है। चेस्ट डिजिजेस अस्पताल के मरीजों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और मनोरोग अस्पताल के मरीजों को मैडिकल कालेज अस्पताल में शिफ्ट किया है।

इस अस्पताल में प्राप्त जानकारी के मुताबिक 1100 बिस्तरों की क्षमता है और अलग-अलग बीमारियों का उपचार होता है। सीमावर्ती क्षेत्रों व दूरदराज के मरीज इसी अस्पताल पर निर्भर हैं। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए रणनीति के तहत सीडी (चेस्ट डिजिजेस) अस्पताल को पूरी तरह से खाली करवा दिया। यहां 90 के करीब मरीजों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इसी तरह मनेारोग अस्पताल के मरीजों को जीएमसी जम्मू के आर्थोपेडिक्स विभाग के वार्ड एक में भर्ती करवाया है। मनोरोग अस्पताल के मरीजों को पहले सीडी अस्पताल में ही भर्ती करवाया था। बदली रणनीति के तहत आर्थाेपैडिक्स विभाग के वार्ड में भर्ती करवाया जा रहा है। मनोरोग अस्पताल और सीडी अस्पताल पूरी तरह से खाली हैं।

जीएमसी के वार्ड भी होने लगे खाली जीएमसी के 15 वार्ड हैं। इनमें से कुछ वार्ड तो लगभग खाली हो गए हैं लेकिन आर्थो का वार्ड नंबर दो तथा सर्जरी और मेडिसीन के वार्डो में भी अभी कुछ मरीज हैं। जीएमसी की इमरजेंसी पूरी तरह से मरीजों से भरी हुई है। जीएमसी जम्मू में फिलहाल कोरोना के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड ही बनाया है। 32 बिस्तरों की क्षमता वाले वार्ड में 20 वेंटीलेटर हैं और 12 बिस्तर सामान्य हैं। इसी तरह 16 बिस्तरों का नया आइसीयू और 34 बिस्तरों का नया हाई डिपेंडेंसी वार्ड भी विकल्प के तौर पर रखा गया है।

जम्मू का गांधीनगर अस्पताल भी मरीजों से खाली करवा दिया है। इस अस्पताल की पुरानी और नई दोनों इमारतों को कोविड अस्पताल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। ओपीडी कांप्लेक्स में ही मरीज इलाज के लिए जा सकते हैं। शेष अस्पताल में कोविड की इमरजेंसी बनाई है। जीबी पंत अस्पताल को खाली करवा दिया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल जम्मू पर पूरे संभाग के मरीज निर्भर हैं।

सीमावर्ती जिला राजौरी व पुंछ के माध्यम में बना जीएमसी अस्पताल राजौरी से भी मरीजों को जम्मू जीएमसी अस्पताल में रेफर किया जाता है यही एकमात्र अस्पताल हैं जहां 24 घंटे सिटी स्कैन की सुविधा है। बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी व पैथालोजी के टेस्ट होते हैं। यही एक ऐसा अस्पताल है जहां एमआरआइ की सुविधा है। अगर इसे बंद कर दिया होता तो मरीजों को परेशानी होनी थी। बतादें कि राजकीय मेडिकल अस्पताल में विभिन्न बीमारियों के मरीज भर्ती हैं। इसे खाली करना संभव नहीं था। जम्मू कश्मीर में बढ़ रहे संक्रमण में चिंता का विषय बनता जा रहा है।

अगर जम्मू में कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो ही इस अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदला जाएगा। संभाग जम्मू के वीरवार को कुछ गांव भी सील किए गए है। कश्मीर घाटी के हैदरपुरा इलाके के 65 वर्षीय व्यक्ति की वीरवर को कोरोना वायरस से मौत हो गई। जम्मू कश्मीर में इस संक्रमण से मौत का यह पहला मामला है घाटी में उसके संपर्क में आए पांच लोग भी को संक्रमित पाया है जिसमें एक राजौरी निवासी है।

आज सिर्फ जिला राजौरी से ही शाम तक मंजाकोट से 52, दरहाल से 23, सुंदरबनी से छह, नोशहरा 13, कालाकोट पांच, कंडी छह। इन सभी लोगों को संदिग्ध लोगों को गांवों, कस्बे से ढूंढ निकाल जिला राजौरी के अलग क्वारंटाइन केंद्रों में जांच के लिए रखा गया है। यह सख्या बड़ भी सकती है। गांव सील किए गए है लॉक डाउन जारी है।

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